गणेशोत्सव पर भी पड़ी कोरोना की मार, नहीं बिकीं प्रतिमाएं, मूर्तिकार घाटे में

कोरोना वायरस का साया त्योहार और धार्मिक आयोजनों पर भी पड़ रहा है कोरोना के खतरे के कारण सरकार ने बड़े धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगा रखा है गणेश चतुर्थी पर सजने वाले पंडाल नजर नहीं आ रहे न ही गणेश जी की विशाल मूर्तियां ही कहीं नजर आ रहीं ऐसे में इसकी सबसे ज्यादा मार उन मूर्तिकारों पर पड़ी है, जिनके लिए दो वक्त की रोटी भी मूर्ति के व्यवसाय से जुड़ी है देश की राजधानी दिल्ली में मूर्तिकार लाखों रुपये के कर्ज में डूब गए हैं और दशकों पुरानी कारीगरी को छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर हो गए हैं
कोरोना वायरस की वजह से लागू हुए लॉक डाउन में मूर्तिकारों का व्यापार भी लॉक हो गया उस दौरान चैत्र नवरात्र के लिए बनाई गईं मां दुर्गा की मूर्तियां खरीदने कोई नहीं आया और अब भाद्रपद मास में गणेश प्रतिमाओं के भी न बिकने से मूर्तिकारों की चिंता बढ़ गई है लोनी रोड पर पिछले 33 साल से देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने वाले अनिल ने एक न्यूज़ चैनल से सवाल के दौरान बताया कि उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है अनिल के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे और एक बेटी हैं जो हर सीजन में मूर्ति बनाते हैं और सड़क किनारे फुटपाथ पर बेचते हैं
मूर्तिकार अनिल ने कहा कि इस साल बड़ी मूर्तियां बनाने का मौका नहीं मिला, लेकिन घरों में स्थापना के लिए भगवान गणपति की छोटी मूर्तियां बनाई हैं कर्ज लेकर मूर्तियां बनाने का काम करते हैं और इस बार सोचा था कि गणपति की मूर्तियां ग्राहक ख़रीदकर ले जाएंगे, उससे कर्ज उतर जाएगा. वह रुंधे गले से आगे कहते हैं कि जब दुर्गा माता की मूर्तियां बनाई थीं, तब लॉकडाउन लग गया था मार्च के महीने में मूर्तियां न बिकने से लगभग ढाई लाख रुपये का नुकसान हुआ था