लोकसभा चुनाव का रण संग्राम, जेल के अंदर से सियासी रसूख दिखा रहे बाहुबली

!!.लोकसभा चुनाव का रण संग्राम, जेल के अंदर से सियासी रसूख दिखा रहे बाहुबली: चुनाव में अपनी ताकत का कराएंगे अहसास.!!

लोकसभा चुनाव का रण, 18वीं लोकसभा के लिए हो रहे आम चुनाव में इस बार भी उत्तर प्रदेश में कई ऐसे माफिया और बाहुबली हैं। जो जेल में बंद होने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से दखल दे रहे हैं। जेल में बंद ये बाहुबली इस चुनाव में अपने करीबियों को जिताने की हर मुमकिन कोशिस कर रहे हैं और अपनी धमक दिखाने में जुटे हैं. वहीं जेल के अंदर से ही उनकी पहुंच को राजनीतिक दल भी भुनाना चाहते हैं।
उत्तर प्रदेश से अतीक अहमद, खान मुबारक, मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी, जैसे माफियाओं का खात्मा हो गया। बुंदेलखंड के जंगलों से ददुआ ठोकिया, गौरी यादव जैसे डकैत का नामलेवा नहीं बचा। कुल मिलाकर यूपी के सियासी इतिहास में यह पहला चुनाव है । जिसमें डकैतों और माफियाओं का दखल अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इसके बावजूद सियासत के कई महारथी इस बार भी जेल के अंदर से अपनी सियासी धमक को दिखाने में जुटे हैं। जेल में बंद इन बाहुबलियों का दखल इस बार के चुनाव में भी बेहद अहम है।
धनंजय सिंह की पत्नी बीएसपी की टिकट से मैदान में…..
बीएसपी प्रत्याशी श्रीकला रेड्डी को जिताना धनंजय सिंह के लिए राजनीतिक अग्नि परीक्षा है। यहां धनंजय सिंह की लड़ाई सीधे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से है। जिसने मुंबई के कृपा शंकर सिंह को जौनपुर में टिकट दिया और धनंजय सिंह कृपा शंकर सिंह को हराकर बीजेपी के शीर्ष नेताओं को इसका जवाब देना चाहते हैं हालांकि धनंजय सिंह 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से कभी कोई चुनाव नहीं जीत पाए।
आजम खान की सियासी साख दांव पर….
रामपुर की सियासत की धुरी रहे आजम खान के लिए यह चुनाव बेहद अहम है। आजम खान सीतापुर जेल में बंद हैं। वहीं उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटा अब्दुल्ला हरदोई जेल में बंद हैं। जेल में बंद आजम खान के लिए इस चुनाव में रामपुर और मुरादाबाद की सीट पर साख दांव पर लगी है। मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी ने आजम खान की जिद पर ही एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को टिकट दिया। वहीं रामपुर का चुनाव भी आजम खान की सियासी हैसियत को तय करेगा कि आखिर मुस्लिम बहुल रामपुर और मुरादाबाद में आजम खान कितनी पकड़ रखते है।
पिता के बिना चुनाव लड़ना अब्बास अंसारी के लिए बड़ी चुनौती…..
कासगंज जेल में बंद मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी के साथ साथ यह चुनाव बिना मुख़्तार अंसारी के अंसारी परिवार की जनता में पकड़ को तय करेगा। यह पहला चुनाव होगा जब अंसारी परिवार के सरपरस्त और मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन मुख्तार अंसारी का दखल नहीं होगा।
यह अलग बात है कि बांदा जेल में बंद मुख़्तार अंसारी की मौत को लेकर अफजाल अंसारी लगातार सहानुभूति बटोरने की कोशिश में है। गाजीपुर सीट के साथ-साथ आसपास की कई अन्य सीटों पर भी मुख्तार अंसारी की मौत का फैक्टर लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभरा है। मुस्लिम वोटबैंक के ध्रुवीकरण का कारण बना है।
उदयभान करवरिया गुट अपना दम दिखाने की कर रहा जद्दोजहद…..
इलाहाबाद और फूलपुर सीट पर अपने बाहुबल और ब्राह्मण वोट बैंक पर अच्छी खासी पकड़ रखने वाले उदयभान करवरिया प्रयागराज की नैनी जेल में बंद है। उदयभान करवरिया ने जेल में रहकर पत्नी नीलम करवरिया को भाजपा के टिकट से साल 2017 में प्रयागराज की मेजा सीट से जीत हासिल करवाई थी। अतीक अहमद से नजदीकी रखने वाले करवरिया के लिए यह चुनाव अपने इलाके में वोट को डाइवर्ट करने की हैसियत रखता है। इलाहाबाद और फूलपुर सीट पर जीत और हार का फैसला करवरिया गुट तय कर अपनी ताकत का एहसास कराने में जुटा है।
वोट बैंक प्रभावित कर सकती है, इरफान सोलंकी की अपील….
कानपुर से समाजवादी पार्टी के नेता और मुस्लिम वोट बैंक का चेहरा इरफान सोलंकी महाराजगंज जेल में बंद है। इरफान सोलंकी पर चल रहे केस में फैसला आना बाकी है। महाराजगंज से कानपुर हर पेशी पर आए इरफान सोलंकी ने हमेशा खुद को और अपने परिवार को राजनीतिक शिकार, मजलूम बताकर लोगों की जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उनकी अपील है। कितना वोट बैंक प्रभावित करने वाली होगी यह जरूर देखना होगा।
बीजेपी के खिलाफ अपने प्रभाव के इस्तेमाल की कोशिश में विजय मिश्रा…..
भदोही और उसके आसपास के इलाके में विजय मिश्रा का अच्छा खासा रसूख रहा है लेकिन इस सरकार ने विजय मिश्रा के साम्राज्य को बुलडोजर से मिट्टी में मिला दिया गया। वर्तमान में विजय मिश्रा आगरा जेल में बंद हैं. इस लोकसभा चुनाव में भदोही व उसके आसपास के ब्राह्मण बाहुल्य इलाकों में वोट बैंक का इस्तेमाल खुद को राजनीतिक पीड़ित बताकर बीजेपी के खिलाफ करने की कोशिश में होगा।
क्या बलरामपुर में काम करेगा रिजवान जहीर फैक्टर ?….
बलरामपुर लोकसभा सीट से दो बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद और तुलसीपुर विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे रिजवान जहीर ललितपुर जेल में बंद हैं। रिजवान जहीर का बलरामपुर और उसके आसपास के तराई क्षेत्र में खासा वर्चस्व है। मुस्लिम बस्तियों में उसकी अच्छी खासी पकड़ है। रिजवान जहीर ने बीते 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर अपनी बेटी को निर्दलीय चुनाव लड़वाया और वह तुलसीपुर विधानसभा सीट पर दूसरे नंबर पर रही हालांकि इस लोकसभा चुनाव में रिजवान जहीर या उसके परिवार से जुड़े किसी व्यक्ति का सीधे दखल नहीं है, लेकिन बलरामपुर सीट पर रिजवान जहीर के फैक्टर को नकारा नहीं जा सकता।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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