भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कहा है

“पीएमएलए की धारा 50 के तहत एक आरोपी द्वारा दिया गया बयान अदालत के सामने सबूत नहीं है। न्यायालय के समक्ष साक्ष्य व्यक्ति द्वारा न्यायालय में दिया गया वास्तविक बयान है। धारा 50 का कथन वास्तव में स्वीकार्य है। लेकिन अंततः जो मायने रखता है वह अदालत में दिया गया बयान है”
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने पीएमएलए के एक मामले की सुनवाई के दौरान ये कहा।