बदनामियत का दंश झेलती मिशन शक्ति:-सरिता एडवोकेट–भारत में बढ़ते पॉक्सो के मामलों की हो सी0बी0आई0जाँच।


— विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का डंका हजारों वर्षों से बजता चला आ रहा है। सनातन युग के शुभारंभ से ही वेद, मंत्र, गीता ,भागवत, महाभारत, रामायण, आर्य समाज गुरु, ऋषि-शिष्य परंपरा, ज्ञान ,कौशल, रचनाएं आज भारतीय संस्कृति के ही परिचायक हैं।
सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में वीरांगनाओं के इतिहास की भी गाथाएं वर्तमान युग में भी गाई जा रही हैं। उन वीरांगनाओं के नाम से वर्तमान में भी दिवस एवं मेलों का आयोजन प्रतिवर्ष किये जा रहे है जिसमे उनकी चारित्रिक का दर्शन किसी से छुपा नहीं है। भारतीय रक्षा विभाग हो या इतिहास में उन वीरांगनाओं की जीवंत कहानीयां, उन सभी में मिशन शक्ति यानीकि वर्तमान नारी शक्ति की हो रही चर्चाएं, चारों ओर हो रही हैं। एक ओर अपनी जान की बाजी लगाने बाली देवियां, दूसरी ओर भारतीय राजनीति का नेतृत्व करती चली आ रही हैं और वर्तमान में कर रही,नारियां राजनीतिक नेतृत्व के बहाने राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा और भारतीय संस्कृति को सजाने-समारे रखने वाली, मैं उन वीरांगनाओं की बात कर रही हूं जो नई ही हैं मैं भी अधिवक्ता व्यवसाय कर रही एक नारी ही हूं ।वर्तमान में नारियां हर क्षेत्र में दिनों दिन आगे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं फिर चाहे वह राजनीतिक क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र, न्याय सेवा हो या सिविल सेवा, इंजीनियरिंग का क्षेत्र हो या चिकित्सा का वृहद क्षेत्र, अध्यापन का क्षेत्र हो या सांस्कृतिक क्षेत्र, हर क्षेत्र में नारी शक्ति परचम लहरा रही है, लेकिन दूसरी ओर भारतीय धरातल की ओर नजर डाली जाए, तो बदनामी का सबसे बड़ा दंश नारी ही झेल रही है। मिशन शक्ति पर लगातार लैंगिक हमले हो या उन्हें लैंगिक हमले के सहारे बदले की भावना के चलते उनका इस्तेमाल एवं उपभोग हो रहा है पिछले सात- आठ वर्षो से अन्य संगीत घटनाओं को भी पीछे छोड़ती नारी वर्तमान में बढ़ते लैंगिक हमलों से बदनामियत का दंश झेल रही है। जो कि भारतीय नारी जिसे एक ओर तो देवी के रूप में पूजा जा रहा है और दूसरी ओर इस देवी पर लैंगिक हमले के माध्यम से उसकी अस्मिता पर हमले कर- करके उसे बदनामियत का दंश झेलने के लिए मजबूर किया जा रहा है या भारतीय संस्कृति के साथ भी कहीं ना कहीं कुठाराघात भी हो रहा है। एक ओर सरकार मिशन शक्ति के माध्यम से नारी जागरूकता और प्रोत्साहन अभियान चला रही है और दूसरी ओर तेजी से लैंगिक हमले नारी की दुर्दशा की कहानी बयां कर रही हैं। यह भारत और उसकी सरकार और न्याय व्यवस्था तथा प्रशासन पर बड़े सवाल खड़े कर रही है। समय रहते हमें इस पर चिंतन मंथन और विचार कर लेना चाहिए, अन्यथा वह दिन दूर ना होगा, कि हम देवी तुल्य नारियों को खुले आकाश में शिसिकियाँ लेते देखेंगे और वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने लगेंगी। सरकार को भारत मैं होने वाले लैंगिक हमले की सीबीआई जांच करानी चाहिए और उसे सच्चाई को उजागर करना चाहिए कि जिन देवी तुल्य नारियों पर लैंगिक हमले हो रहे हैं उनको न्याय मिलना चाहिए और जो बदले की भावना के चलते पोक्सो एक्ट जैसे खतरनाक कानून की आड़ में अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं उनको चिन्हित कर दंडित किया जाना चाहिए तथा न्यायपालिका और पुलिस प्रशासन भी इस और अपने कर्तव्य से विमुख देखे तो उसको भी उचित दंड प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए मैं भारत सरकार और उसकी न्यायपालिका एवं पुलिस से आशा करती हूं कि वह भारतीय संस्कृति की रक्षा सुरक्षा हेतु मिशन शक्ति को और अधिक मजबूती प्रदान करने हेतु अपने कर्तव्य पथ पर चलकर बदनाम होती देवी सामान बदनामियत का दंश झेलती नारी को बचाने का ईमानदारी के साथ प्रयास करें, तभी हम एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण की कल्पना कर सकते हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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