लखनऊ।समाजवादी पार्टी के लिए मंगलवार का दिन कई तगड़े झटके देने वाला रहा।राज्यसभा चुनाव के पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में आठ विधायक नहीं पहुंचे थे।दूसरी तरफ ऊंचाहार से विधायक मनोज कुमार पांडेय ने चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया है।मनोज कुमार पांडेय ने भी पार्टी के उम्मीदवार को अपना वोट नहीं दिया।सपा का ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले मनोज कुमार पांडेय के अलग हो जाने से भी सपा को बड़ा नुकसान होगा।
मनोज कुमार पांडेय के बारे में सूत्रों ने कहा है कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने वाले हैं।इसके बाद संभव है कि वे भाजपा में शामिल हो जाएंगे और उन्हें रायबरेली से पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाए।दूसरी तरफ राज्य मंत्री दिनेश सिंह ने एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि भाजपा नेतृत्व जिसे भी प्रत्याशी बनाएगा रायबरेली की जनता और पार्टी के साथ मिलकर उसे तन मन धन से चुनाव लड़ाऊंगा और कमल खिलाऊंगा, यही मेरा संकल्प है।
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह शामिल थे, लेकिन फिर उन्होंने पाला बदल लिया और भाजपा में शामिल हो गए। 2019 का लोकसभा चुनाव भी दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी के खिलाफ ही लड़ा था। वहां के स्थानीय नेताओं का कहना है कि रायबरेली से योग्य उउम्मीदवार को टिकट मिलनी चाहिए ताकि क्षेत्र का पिछड़ा पन दूर हो सके।
विधायक मनोज कुमार पांडेय क्षेत्र ही नहीं बल्कि प्रदेश में बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर पहचान रखते हैं।अखिलेश यादव ने भी मनोज कुमार पांडेय को चीफ व्हिप बनाया था,लेकिन मनोज कुमार पांडेय की नाराजगी दूर नहीं कर पाए।दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य के राष्ट्रीय महासचिव बनाने और हिंदू विरोधी बयानों पर मनोज कुमार पांडेय ने आपत्ति ली थी।इस पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मनोज कुमार पांडेय को शांत रहने को कहा था।मनोज कुमार पांडेय के सपा से दूर होने पर बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।सूत्रों का कहना है कि इससे ब्राह्मण वोटर्स सपा से दूरी बना सकते हैं।इससे पहले सपा ने पीडीए यानी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर भी पार्टी नेताओं को नाराज किया था।