मौत बांटते ये निजी अस्पताल
एटा शहर में प्राइवेट चिकित्सालयों की बाढ़ सी आ गई है।

इन हॉस्पिटलों में न तो चिकित्सक ही योग्य है और न ही नर्स ओर कंपाउंडरो पर कोई डिप्लोमा है ।
पर अगर आप अपने किसी मरीज को इन हॉस्पिटलों में लेकर जाएंगे तो आप का मरीज चाहे कितना भी गंभीर क्यूं ना हो ये लोग तुरन्त भर्ती कर लेंगे और दूसरे दिन आप को बतायेगे कि मरीज का ऑपरेशन करना पड़ेगा परेशान परिजन डॉक्टर को भगवान समझ कर अनुमति दे देते हैं।ओर फिर सुरु होता है लूट का खेल।
शहर के अधिकांश हॉस्पिटलों में या तो डॉक्टर बीएएमएस है या फिर पूरी तरह ही झोलाछाप है ।
जब ऐसे लोग गंभीर बीमारियों का इलाज करेंगे तो आप समझ सकते है परिणाम गंभीर ही होंगे।
ऐसा ही एक वाकया आज आरोग्य हॉस्पिटल के आगरा रोड पर हुआ, कल ग्राम खड़हुआ निवासी सुनील कुमार अपनी पत्नी रेखा देवी की डिलीवरी के लिए ले कर आये हॉस्पिटल ने ₹30000 नगद जमा करा लिये और दवाइयां भी लिख दी उसके वाद रात में किसी महिला डॉक्टर ने उनका ऑपरेशन कर दिया बच्चा होने के कुछ देर बाद रेखा देवी की हालत बिगड़ने लगी कुछ देर बाद डॉक्टर ओर पूरा स्टाफ हॉस्पिटल से नदारद हो गया जब परिजनों ने सुनीता देवी को देखा तो उनकी मृत्यु हो चुकी थी ।
सुबह हॉस्पिटल पर तीमारदारों के गांव के लोगों का हुजूम लग गया ,पुलिश भी मौके पर पहुँच गयी है ।
अभी तक मामला पंजीकृत नहीं हुआ।
सवाल यह है क्या कुकुरमुत्ता की तरह उग आए हॉस्पिटलों को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मॉनिटरिंग क्यूं नहीं किया जाता?
स्वास्थ्य विभाग की इन हॉस्पिटलों के प्रति क्या जिम्मेदारी है?
ऐसे हॉस्पिटलों पर पहले भी अक्सर मौतें होती रही है मामले भी पंजीकृत हुए है।
लेकिन कार्रवाई के नाम पर होती है सिर्फ सौदेबाजी , स्वास्थ्य विभाग, पुलिस ओर पीड़ित के परिजन सभी को रकम बांटकर
यह रजिस्टर डकैत बच निकलते हैं।
प्रशासन चुप बैठा रहता है अगली किसी मौत के इंतजार में।