यूपी : प्रियंका गांधी ने निभाया अहम रोल ! सपा-कांग्रेस में बिगड़ते-बिगड़ते क्या बन गई बात?
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में बात बन गई है. लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां उत्तर प्रदेश में साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही हैं. दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर लंबे समय से बात चल रही थी, लेकिन सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पा रही थी. इस कारण बात बिगड़ती दिख रही थी, लेकिन आखिरकार दोनों में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात बन गई है.
ऐसे में ये जानना दिलचस्प है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन की बात कैसे बनी? कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि प्रियंका गांधी की इसमें बड़ी भूमिका थी. सूत्रों ने बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने गठबंधन की बातचीत शुरू की और फिर राहुल गांधी से चर्चा करने के बाद अखिलेश यादव से बात की. दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बात तब आगे बढ़ी, जब कांग्रेस ने मुरादाबाद सीट की मांग छोड़ दी और उसकी जगह सीतापुर, श्रावस्ती और वाराणसी की मांग की.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि राहुल गांधी से बात करने के बाद प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव से फोन पर बात की थी. इस बातचीत में ही दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की सहमति बनी.
जानकारों की मानें तो कि अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 17 सीटों का ऑफर दिया था. हालांकि, बताया जा रहा है कि बात तब भी नहीं बन पाई थी. कांग्रेस मुरादाबाद सीट मांग रही थी. 2019 में मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी जीती थी. इसी वजह से गठबंधन की बात पटरी से उतरने लगी थी. लेकिन प्रियंका गांधी के दखल देने के बाद दोनों पार्टियों में सहमति बन गई.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल नहीं होने पर जब अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘अंत भला तो सब भला. कोई विवाद नहीं है. गठबंधन होगा.’ इससे पहले सोमवार को अखिलेश ने कहा था कि सीट बंटवारे की बात तय होने के बाद वो राहुल की यात्रा में शामिल होंगे.
मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव, सीतापुर, अमरोहा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बाराबंकी, फतेहपुर सिकरी, सहारनपुर और मथुरा से चुनाव लड़ सकती है.
इससे पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त साथ आए थे. तब इस गठबंधन के लिए ‘यूपी के लड़के’ नारा दिया था. हालांकि, चुनाव में इस गठबंधन को बुरी हार मिली थी.
समाजवादी पार्टी ने 47 और कांग्रेस ने सिर्फ 7 सीटें ही जीती थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. तब यहां की 80 में से महज 5 सीटें ही समाजवादी पार्टी जीत सकी थी. कांग्रेस के खाते में महज एक सीट आई थी.