इंदौर और सूरत को संयुक्त रूप से देश के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार



साफ-सफाई रखने की प्रवृत्ति इंदौरवासियों और वहां के स्थानीय प्रशासन के स्वभाव में शुमार हो चुकी है। अभियान चलाकर तो कोई भी शहर सफाई कर सकता है, पर सफाई के एक स्तर को निरंतर बनाए रखना बहुत मानीखेज है। सूरत ने संयुक्त रूप से पुरस्कार जीतकर कतई चौंकाया नहीं है। सूरत में साल 1994 में प्लेग भयानक रूप से फैला था और उसके बाद से ही उस शहर ने युद्ध स्तर पर साफ-सफाई का बीड़ा उठाते हुए अपना कायाकल्प कर लिया, नतीजा सामने है। तीन दशक से यह शहर स्वच्छता का एक स्तर बनाए चल रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि विगत दशक भर में स्वच्छता सर्वेक्षण पुरस्कारों का महत्व साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। पिछले साल के पुरस्कारों में तीसरे स्थान पर रही नवी मुंबई ने अपना स्थान कायम रखा है।

उत्तर प्रदेश के लिए यह खुशखबरी है कि वाराणसी और प्रयागराज को सबसे स्वच्छ गंगा शहर घोषित किया गया है। तीन से दस लाख की आबादी वाले शहरों में नोएडा को दूसरा स्थान मिला है, मगर समग्रता में उसकी रैंकिंग घटकर 15 हो गई है। साल 2021 में नोएडा देश का नौवां सबसे स्वच्छ शहर बन गया था। नई दिल्ली में स्थित विशेष एनडीएमसी क्षेत्र समग्रता में सातवें स्थान पर है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले तमाम शहरों को स्वच्छता के पैमाने पर ऊपर रहना चाहिए, पर पर्याप्त प्रयास, संसाधन और योजना के अभाव में ऐसा नहीं हो पा रहा है। एक पहलू यह भी है कि यहां बढ़ती आबादी भी स्वच्छता को लगातार चुनौती दे रही है। फिर भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित शहरों से ज्यादा उम्मीद करना गलत नहीं है। इन शहरों को आबादी का बोझ संभालने के लिए ज्यादा तैयार रहना होगा। साथ ही, यहां प्रदूषण से मुकाबले के लिए भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इंदौर की प्रशंसा करते हुए यह भी ध्यान में रखना होगा, सवा तीन करोड़ से ज्यादा लोग दिल्ली के मेट्रो क्षेत्र में रहते हैं, जबकि इंदौर की आबादी 33 लाख के करीब है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित सभी शहरी निकाय, विभाग और निजी संस्थाएं भी परस्पर समन्वय व जन-भागीदारी के साथ अगर गंदगी और प्रदूषण से निपटने की योजना बनाकर काम करें, तो ज्यादा सार्थक होगा।

बहरहाल, गौर कीजिए, देश के सबसे स्वच्छ दस शहरों में बिहार या उत्तर प्रदेश का एक भी शहर नहीं है। पटना का स्थान तो 262वां है, मतलब अभी स्वच्छता के पैमाने पर वहां बहुत कुछ करने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश के शहरों में स्वच्छता के मामले में क्रमश नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, वाराणसी के बाद राजधानी लखनऊ 44वें स्थान पर है। सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में पश्चिम बंगाल का नाम सबसे ऊपर है। हावड़ा, कोलकाता गंदे शहरों में शुमार हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि महाराष्ट्र देश का सबसे साफ-सुथरा राज्य है और उसके बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को स्वच्छता के मोर्चे पर ज्यादा चाक-चौबंद होना पड़ेगा। हालांकि, उसकी तारीफ होनी चाहिए कि वह विगत दशक से लगातार रैंकिंग जारी कर रहा है, जिससे सबको सफाई की प्रेरणा मिल रही है। लोगों के बीच धीरे-धीरे जागरूकता आ रही है, पर अभी हमें गांधी के सपनों वाला स्वच्छ भारत बनाने के लिए लंबा सफर तय करना है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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