गरीब कल्याण अन्न योजना(पीएमजीकेएवाई) को अगले पांच वर्षों तक
नई दिल्ली, । तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक एक दिन पहले केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को अगले पांच वर्षों से लिए बढ़ा दिया है। इसके तहत सरकार करीब 81.35 करोड़ लाभार्थियों को निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि एमजीकेएवाई को एक जनवरी 2024 से अगले पांच वर्षों के बढ़ाया गया है।
11.8 लाख करोड़ का खर्च मंत्री ने बताया कि अगले पांच वर्षों में योजना पर करीब 11.8 लाख करोड़ का खर्च आएगा। पीएमजीकेएवाई के तहत 2020 में कोरोना के वक्त लोगों को राहत देनी शुरू की गई थी। इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
दुर्ग में किया था ऐलान प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुफ्त अनाज योजना को पांच वर्ष के लिए बढ़ाने का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके कार्यकाल में साढ़े 13 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए हैं।
उचित मूल्य की दुकानों पर वितरण मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि पीएमजीकेएवाई निशुल्क खाद्यान्न (चावल, गेंहू, मोटा अनाज) खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाएगा और निर्धन और निर्बल वर्गों की वित्तीय कठिनाई में कमी लाएगा। पांच लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के जरिए खाद्यान्न वितरण होगा7
सरकार के अनुसार, लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और लक्षित आबादी के लिए खाद्यान्न की पहुंच को सुदृढ़ बनाने और राज्यों में एकरूपता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन मिलेंगे
बैठक में 15 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन देने पर भी मुहर लगा दी गई। ये ड्रोन कृषि कार्य, उर्वरकों के छिड़काव आदि में उपयोग होंगे। इसके तहत 10-15 गांव का क्लस्टर बनाकर ड्रोन दिया जाएगा। इसमें एक महिला को ड्रोन सखी के रूप में चुना जाएगा। ड्रोन पायलट को 15 हजार प्रतिमाह मानदेय मिलेगा।
16वें वित्त आयोग के लिए जरूरी शर्तें मंजूर
बैठक में 16वें वित्त आयोग के लिए जरूरी शर्तों (टर्म्स ऑफ रिफेरेंस) को मंजूरी दी गई। आयोग को अक्तूबर 2025 तक रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस में केंद्र और राज्य सरकार के बीच करों से प्राप्त होने वाली राशि का विभाजन तय किया जाना है।