
एटा, । जनपद में संचालित 28 गोशालाएं हाउस फुल हो गईं। इनमें अब गोवंश रखने के लिए जगह नहीं बची। सड़कों पर जो गोवंश घूम रहे है उन्हें कहां रखा जाएगा। दो हजार गोवंशों को पकड़कर गोशालाओं में पहुंचने के निर्देश थे। इसमें अभी तक 1200 ही गोवंश गोशालाओं में जा सके हैं। 800 से अधिक गोवंश अभी बाहर ही घूम रहे हैं।
शुक्रवार को सीवीओ डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि अभियान चलाकर जिले में घूमने वाले दो हजार निराश्रित गोवंशों को पकड़वाकर गोशालाओं में संरक्षित किया जाना है। इसके तहत पिछले माह से जिले में गोवंश संरक्षण के प्रति अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत अब तक 1200 गोवंशों को पकड़ कर जिले की सभी 28 गोशालाओं में संरक्षित किए जा चुका है। इस कारण सभी गोशालाओं में क्षमता से अधिक गोवंशों से भर चुकी हैं। लक्ष्य के अनुसार अभी 800 और निराश्रित गोवंशों को पकड़कर उन्हें भी गोशालाओं में संरक्षित किया जाना है। गोशालाओं में जगह न बचने के कारण आठों ब्लॉक में पकड़े जाने वाले शेष गोवंशों को संरक्षित करने के जनसामान्य का सहयोग मांगा जा रहा है। उन्होंने बताया कि गोवंशों को मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत लोगों को सुपुर्द करने की योजना बनाई बनाई जा रही है।
तीन गोशालाओं की बेहद जरूरत सीवीओ ने बताया कि जिला मुख्यालय पर घूमने वाले गोवंशों को संरक्षित करने के लिए नगर पालिका ने अब तक गोशाला का निर्माण नहीं कराया है। इसके कारण मुख्यालय पर निराश्रित गोवंश संरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां घूमने वाले गोवंशों को पकड़वाकर भदुआ, मलावन एवं वाहिदबीबीपुर गोशाला में भेजना पड़ रहा है। इससे यह गोशालाएं पूरी तरह भर चुकी है। इसी प्रकार नगर पंचायत निधौलीकला और मिरहची ने भी गोशाला का निर्माण नहीं कराया है।
गोशालाओं में पहले से संरक्षित पांच हजार गोवंश पशुपालन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मई माह तक 14 अस्थाई गो आश्रय स्थलों में 1384, 03 वृहद गोसंरक्षण केंद्रों में 1202, 05 कान्हा गोशालाओं में 644, 04 पंचीकृत गोशालाओं में 1009, 02 अपंजीकृत गोशाला में 656 गोवंश सहित जिले की सभी 28 गोशालाओं में कुल 4895 गोवंश संरक्षित थे। इनमें 2 हजार और गोवंश संरक्षित करने से व्यवस्थाएं खराब हो रही हैं।