सी ओ पी डी दमा में स्टेरॉयड का सेवन हैं सकता हैं खतरनाक।
वायु प्रदुषण से बढ़ रहे हैं सी.ओ.पी.डी मरीजों की संख्या
डॉ. एस.के पाठक।
विश्व सीओपीडी दमा दिवस 15 नवंबर पर विशेष।
वाराणसी

ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल अस्सी वाराणसी के वरिष्ठ टी.बी एलर्जी श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ एस. के पाठक ने सी.ओ.पी.डी दमा दिवस पर एक वार्ता में बताया कि आज वायु प्रदूषण दुनिया की एक बड़ी समस्या में से एक है। कई बीमारियों का कारण वायु प्रदूषण है। दमा सीओपीडी।एलर्जी और फेफड़े की अन्य बीमारियों का मुख्य कारण वायु प्रदूषण ही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार विश्व के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में 14 शहर भारत के हैं। इनमें अपना बनारस कानपुर और गाज़ियाबाद के बाद तीसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ 20 लाख मौतें पर्यावरण प्रदूषण के कारण हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर 10 व्यक्तियों में से 9 व्यक्ति प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। लगभग 42 लाख लोग वायु प्रदूषण की वजह से मौत के शिकार हुए और 38 लाख लोगों की मौत कुकिंग और प्रदूषित ईंधन के कारण हुई। भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 12 लाख मौतें होती हैं। यदि व्यापक रोकथाम न हुई तो यह आंकड़ा सन् 2050 तक 36 लाख मौतों को पार कर जाएगा।
डॉ पाठक ने आगे बताया कि दमा रोगियों के लिए खतरे से खाली नहीं है स्टेरॉयड गोलियों का सेवन। आजकल कुछ चिकित्सक कुछ मेडिकल स्टोर वाले अस्थमा मरीजों को स्टेरॉयड गोलियों खिला रहे हैं जिसका दुष्परिणाम कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा हैं और जब केस ख़राब हो जाता हैं तो यही केस विशेषज्ञ के पास आता हैं दुर्भाग्यवश हम जैसे विशेषज्ञों को अपने मरीज को बचाने के लिए बहुत ही कम समय मिलता हैं इसलिए हम अपने दमा सीओपीडी मरीजों को नियमित प्रिेवेंटर इनहेलर्स के उपयोग करने की सलाह देते है।
डॉ पाठक ने स्टेरॉयड के सेवन से होने वाले और भी साइड एफेक्ट्स के बारे में भी बताया जो सबसे पहले इम्यून रेस्पॉन्स को कम कर देता है मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं शरीर चेहरे पर छोटे छोटे बाल या रोएं आ जाते हैं। शरीर में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है इसलिए डायबिटीज के रोगियों को स्टेरॉयड पर अधिक निर्भर रहने के लिए मना किया जाता है। स्टेरॉयड के अधिक सेवन से ब्लैक फंगस होने का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है। स्टेरॉयड के लगातार सेवन से ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है अनिद्रा की समस्या हो सकती है। वजन बढ़ना भूख में कमी, मानसिक समस्या आंखों से संबंधित समस्या जैसे ग्लूकोमा मोतियाबिंद हड्डियों की समस्या जैसे ऑस्टियोपोरोसिस आदि होने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ पाठक ने आगे बताया कि सही समय पर यदि श्वास के इन्फेक्शन को रोका नही जाता तो फेफड़ो की निष्क्रिय कोलेप्स होने का ख़तरा बढ़ जाता हैं जो मरीजो के लिए प्राण घातक बन जाता हैं। शुरूआती चेस्ट इन्फेक्शन के लक्षण में कफ़ बलगम आना बुख़ार सीने में दर्द साँस लेने में तकलीफ आदि हैं यदि उचित समय पर उचित मात्र में एंटीबायोटिक एंटी माइक्रोबायल।का प्रयोग नही हो पाता हैं तो मरीज के जान का खतरा बढ़ जाता हैं I डॉ पाठक ने मरीजो को हिदायत दी कि स्वयं से मरीज दवाओ का प्रयोग न करे चिकित्सको के द्वारा जाँच एवं इलाज के बाद ही दवा का प्रयोग करे। सामान्य परिस्थितियों में साँस फूलना स्वस्थ्य मरीजो के लिए ठीक नही हैं यदि साँस सम्बंधित कोई भी समस्या हैं तो इसका चेक अप कराकर इलाज कराना जरुरी हो जाता हैं क्योकिं साँस की समस्या फेफड़ो ह्रदय व खून की कई अन्य बीमारी के कारण हो सकता हैं।
डॉ.पाठक ने बताया कि ब्रेथ ईजी जन जागरूकता के लिए समय समय पर जागरूकता अभियान चलाता रहता हैं जिसमे नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर क्लिनिक जन जागरूकता रैली मोबाइल कैंप प्रमुख हैं। इसी कड़ी में सी.ओ.पी.डी दिवस के उपलक्ष में 15 नवम्बर प्रात: 8 बजे से एक जन जागरूकता रैली का आयोजन भी किया गया हैं रैली की शुरुआत डॉ एस. के पाठक वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ) व सुनीता पाठक निदेशिका ब्रेथ ईजी संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर करेंगे, जो कि ब्रेथ ईजी अस्सी वाराणसी से शुरू होवेगी तथा लंका- दुर्गाकुंड सोनारपुरा मार्ग से होते हुए अस्सी घाट पे समाप्त होगी I इस रैली में शहर के युवा एवं सम्मनित नागरिक भी बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे। इसके तदुपरांत प्रात:10 बजे से ब्रेथ ईजी मोबाइल कैंप का भी आयोजन किया गया हैं जिसमे ब्रेथ ईजी वैन वाराणसी के प्रमुख चौराहों पर जाकर वाराणसी के जनता की फेफड़ो की जाँच कंप्यूटर मशीन द्वारा करेगी। इसी कड़ी में सी.ओ.पी.डी दिवस पर ब्रेथ ईजी द्वारा एक चिकित्सकीय संगोष्टी का भी आयोजन किया जायेगा जिसमे वाराणसी एवं आस-पास के चिकित्सको को नयी पद्धति द्वारा श्वांस के ईलाज के बारे में बताया जायेगा।