सूकरक्षेत्र सोरों जी की पंचकोशी परिक्रमा 25अक्टूबर

कासगंज,सूकरक्षेत्र सोरों जी की पंचकोशी परिक्रमा 25अक्टूबर
सूकरक्षेत्र सोरों l पंचकोशी परिक्रमा
ब्राह्मण कल्याण सभा के तत्वावधान में सूकरक्षेत्र सोरों जी की पंचकोशी परिक्रमा प्रत्येक एकादशी को भगवान वाराह मंदिर प्रांगण से पूजन अर्चन करने के उपरांत प्रारंभ होती है इसी क्रम में पापांकुशा एकादशी शुक्ल पक्ष दिनांक 25अक्टूबर 2023 दिन बुधवार प्रातः 7:00 स्थान भगवान वाराह मंदिर विश्राम घाट प्रांगण से हर कीर्तन करते हुए प्रारंभ होगी सभी भक्तों से निवेदन अधिक से अधिक संख्या में प्रतिभाग कर पंचकोसी परिक्रमा पुण्य लाभ अर्जित कर अपने जीवन को धन्य बनाएं
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 36 मिनट पर होगी और 25 अक्टूबर को दोपहर 4 बजे समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 25 अक्टूबर 2023 को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी।

पापाकुंशा एकादशी व्रत की पूजा विधि

  1. इस व्रत का व्रत एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि से ही करना चाहिए। दशमी पर सात तरह के अनाज, इनमे आटा, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए, क्योंकि सातों धान्य की पूर्णिमा के दिन की जाती है।
  2. एकादशी तिथि पर प्रात: काल पितृ स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  3. संकल्प लेने के बाद घट स्थापना करनी चाहिए और कलश पर भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
  4. व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराना और व्रत के बाद अन्न का दान करना।

पापाकुंशा एकादशी का महत्व

इस दिन भगवान विष्णु ( भगवान वाराह) के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। एकादशी तिथि का व्रत रखने से विशेष कार्यों में सफलता भी मिलती है। पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए भक्त श्रद्धापूर्वक एकादशी की तिथि पर लक्ष्मी नारायण की पूजा करते हैं।

महाभारत काल में स्वयं भगवान श्री कृष्ण द्वारा धर्मराज युधिष्ठिर को पापाकुंशा एकादशी का महत्व बताया गया है। भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि यह ब्रह्माण्ड पाप का निरोध है अर्थात पाप कर्मों से रक्षा करता है। इस एकादशी व्रत से मनुष्य को अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा और ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन सिर्फ फलाहार ही किया जाता है। इससे शरीर स्वस्थ और मन स्वस्थ रहता है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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