
मौतों का सौदागर स्वास्थ्य विभाग एटा ।*
*जनपद में स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में होने वाली मौतों पर चुप क्यों हैं जनप्रतिनिधि?*
*विधायक निधि से लगे ऑक्सीजन प्लांट का क्या हुआ?*
एटा – एटा में फर्जी नर्सिंग होम,झोलाछापो, प्राइवेट क्लीनिकों पर दर्जनों मरीज अब तक काल के गाल में सिर्फ डॉक्टरों की लापरवाही के चलते समा चुके हैं।हद तो तब हो गई जब जनपद के मेडिकल कॉलेज में मात्र कुछ मिनटों में ही ऑक्सीजन की कमी के कारण दो मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा।महत्वपूर्ण मामला तो यह है, कि जनपद में स्वास्थ्य विभाग को विधायक निधि से पैसा देकर ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना भी की गई थी।फिर मरीजों को ऑक्सीजन की कमी से कैसे मौत के आगोश में पहुंचाया गया।शर्म की बात तो यह है, जब यह घटना हुई तब सरकार के एक मंत्री जनपद भृमण में उपस्थित थे।दूसरी तरफ सीएमओ एटा द्वारा किए जा रहे, भ्रष्टाचार की जांच भी मा0मुख्यमंत्री महोदय द्वारा कराए जाने का फरमान जारी कर दिया गया है।फिर भी सीएमओ एटा पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कि गई है, यह सवाल स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अलावा सरकार पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है। *उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री की उपस्थिति में मेडिकल कॉलेज में दो लोगों की ऑक्सीजन से कमी के कारण हुई मौतों पर सिर्फ फटकार लगाकर पल्ला झाड़ लेना क्या एटा की जनता के साथ सरकार का न्याय उचित है?* क्यों नहीं अभी तक सीएमओ एटा को हटाकर निष्पक्ष जांच कराई जा रही।यहाँ पर महाभारत काल के एक प्रसंग की याद ताजा हो गई।जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बुआ को वचन दिया था,कि तुम्हारे पुत्र शिशुपाल द्वारा जब तक 100 गालियां दी जाएगी तब तक मैं इसका बध नही करूंगा।लेकिन जब शिशुपाल ने अपने घमंड के चले जैसे ही 101 वीं गाली दी भगवान श्रीकृष्ण जी ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था। *क्या उत्तर प्रदेश सरकार भी सीएमओ एटा के कार्यकाल में एटा जनपद में और मौतों का इंतजार कर रहा है? *क्यों ऐसे भृष्ट और जनपद में होने वाली स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में मौतों के जिम्मेदार सीएमओ को हटाने में हिचक रही सरकार?* एक तरफ तो प्रदेश की ओजस्वी मुख्यमंत्री योगी जी जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य करने के संकल्प के साथ प्रदेश से भ्रष्टाचार और माफिया राज को समाप्त करने पर लगे हुए हैं।वही भ्रष्ट अधिकारी की सरकार में कौन मदद कर रहा है, *यह प्रश्न चिन्ह है सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर।* यदि मा0मुख्यमंत्री जी ने एटा सीएमओ को यहां से हटाकर जाँच नही कराई तो किसी भी तरह निष्पक्ष जांच सम्भव नहीं है। *क्योंकि चांदी की चमक में कुछ भी सम्भव है।*