विकास की आंधी इस बार सड़कों और गलियों के दायरे को तोड़कर लोगों के बेडरूम तक पहुंच गयी

एटा।सिर्फ बीस मिनट की बारिश में एटा नगरपालिका के विकास की आंधी इस बार सड़कों और गलियों के दायरे को तोड़कर लोगों के बेडरूम तक पहुंच गयी।

क्या हमारे बच्चे इसी विकास पर सवार होकर देश दुनिया से कदमताल कर पायेंगें????
क्या अपराध किया है इन बच्चों का,क्या दोष है इनका
जो ऐसे नरक और अमानवीय परिस्थियों में रहने को मजबूर हैं??

शायद इनका सबसे बड़ा अपराध ये है कि ये उस एटा में पैदा हुए हैं जहां के लोग सबकुछ सहने के बाद भी उफ्फ तक नहीं करते हैं।
एटा शहर के लोग जिस नरक और अमानवीय परिस्थियों में जीवन जीने को मजबूर हैं, देश के दूसरे हिस्सों के लोग इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।

हम अनोखे जनपद हैं यहां नालियों की सफाई वारिश से पहले नहीं बल्कि वारिश के दौरान ही होती है।
ताकि सफाई के नाम पर भ्रष्टाचार का लड्डू आसानी से खाया जा सके और गलियों के पास खड़े होकर फ़ोटो खिंचाकर अपना चेहरा चमकाया जा सके।

क्या नगरपालिका और प्रशासन अपने आंखों पर बंधी वेशर्मी की पट्टी खोलकर एटा के लोगों के दर्द को महसूस करने की कोशिश करेंगे????

एटा के लोगों के पास अपनी समस्याओं को लेकर हजार सवाल हैं ,पर एटा नगरपालिका और एटा जिला प्रशासन पर हर समस्या का सिर्फ एक ही जबाब है “सीवर”

नोट-यहाँ जितनी तस्वीर डाली हैं ये उन सड़कों गलियों और मौहल्लों की हैं जहां या तो सीवर का काम अब तक शुरू नहीं हुआ या जहां सीवर का काम खत्म हुए लगभग डेढ़ से दो वर्ष बीत चुके हैं

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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