
उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में गरमी या लू से बुरा हाल
मौसम विभाग के अनुसार, अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के ज्यादातर इलाकों में लू का आलम रहेगा। उत्तर भारत ही नहीं, दक्षिण में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के ज्यादातर हिस्सों में भीषण गरमी देखी जा रही है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भी गरमी से बुरा हाल है। उधर, पश्चिमी तट के ज्यादातर इलाकों में समुद्री चक्रवात बिपरजॉय की वजह से बड़ी चिंता है, आम जनजीवन और परिवहन पर व्यापक असर पड़ा है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान में भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। समुद्र में उठ रही ऊंची लहरों और तेज हवाओं के चलते एक लाख के करीब लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई है। ध्यान देने की बात है कि देश में अभी मौसम की विचित्र स्थिति बनी हुई है। पश्चिमी भारत में समुद्री चक्रवात का असर है, तो मध्य व उत्तर भारत में लू का कहर और पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश की चेतावनी है।
इन दिनों सबसे ज्यादा चिंता बिपरजॉय को लेकर है। इसे छह दशकों में आया तीसरा बड़ा चक्रवात बताया जा रहा है। कम से कम नुकसान के लिए लोग दुआ, प्रार्थना का भी सहारा ले रहे हैं। अगर यह कमजोर नहीं पड़ा, तो भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी तबाही का कारण बन सकता है। यह अच्छी बात है कि सरकारों और स्थानीय प्रशासन ने चक्रवात से निपटने के लिए समय रहते इंतजाम कर लिए हैं, अत जान-माल की कम से कम क्षति होगी। यह हमारी मौसम संबंधी वैज्ञानिक तरक्की का ही नतीजा है कि चक्रवात से काफी पहले ही लोगों को सतर्क कर दिया गया है। पहले ऐसी त्रासदी भुगत चुके लोगों ने भी सरकारों के दिशा-निर्देशों की उचित ही पालना की है। अभी विस्थापित हुए लोगों को किसी भी तरह की तकलीफ से बचाना सरकारों की जिम्मेदारी है। एक उम्मीद यह भी है कि यह चक्रवात तट से टकराने से पहले ही कमजोर पड़ सकता है, पर इसने तट से टकराने से पहले ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। बड़ी तादाद में लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। यह जितनी जल्दी बीत जाए, उतना अच्छा है। एक आशंका है कि इसका थोड़ा असर मध्य भारत या उत्तर भारत तक भी पहुंच सकता है।
कुल मिलाकर, भारत में आगामी कुछ दिनों में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ ही रहने वाला है। केरल में सप्ताह भर की देरी से मानसून पहुंचा है। यह झारखंड और बिहार में प्रवेश कर चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश को अभी मानसून का इंतजार करना होगा। दिल्ली तक यह जून के आखिरी सप्ताह में ही पहुंचेगा। बीच-बीच में बारिश की वजह से इस बार तुलनात्मक रूप से कुछ राहत है। आगामी दिनों में भी लू के इलाकों में अचानक बारिश का माहौल बन जाए, तो आश्चर्य की बात नहीं है। वैज्ञानिक इन तमाम मौसमी हालात को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर भी देख रहे हैं। मौसम बार-बार यह इशारा कर रहा है कि हमें प्रकृति के प्रति जल्द से जल्द ज्यादा सजग होने की जरूरत है। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने और जलस्रोतों को बचाने के लिए काम करना चाहिए। तमाम तरह के प्रदूषण को कम करने के लिए भी युद्ध स्तर पर प्रयास होने चाहिए, तभी हम मौसम की लगातार बढ़ती मार झेलने की बेहतर स्थिति पैदा कर सकेंगे।