पारदर्शी चयन प्रक्रिया को दरकिनार कर एटा में नियुक्त स्थल दिए जाने के नाम पर लाखों का खेल

योगी जी एटा के स्वास्थ विभाग के भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने का समय आ गया…!

पारदर्शी चयन प्रक्रिया को दरकिनार कर एटा में नियुक्त स्थल दिए जाने के नाम पर लाखों का खेल

*स्थापना पटल के बाबू ने कॉल कर अभ्यर्थियों को बुला कर कर लिया खेल”

एटा। उत्तर प्रदेश शासन की बहुप्रचारित नीत पारदर्शी चयन प्रक्रिया के तहत दो दिन पहले सात हजार 182 ए एन एम को चयन पत्र बांटे गए जिसका एक भव्य आयोजन लोक भवन लखनऊ में मुख्यमंत्री जी के आतिथित्य में आयोजित किया। जिसमे मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने दो टूक कहा सरकार पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से नोकरिया उपलब्ध करा रही इसमें भ्रष्टाचार नही किया जा रहा। जो करेगा उसको जेल जाना पड़ेगा। एटा सहित प्रदेश के सभी जिलों में जिला प्रशासन की देख देख में अलग अलग आयोजन किए गए एटा में भी यह आयोजन हुआ जिसमें 59 चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए गए। क्या शासन की मंशा के अनुसार एटा में सब कुछ भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी हुआ ? यह समझने के लिए अनेकों प्रेस प्रतिनिधियों ने पड़ताल की जिसमे चौकाने बाली बाते सामने आई। जहां एक तरफ प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन रोजगार परक उपलब्धि लेकर भव्य आयोजनों में व्यस्त रहा वही एटा के स्वास्थ विभाग के स्थापना पटल ने आंधी के आम बटोरने की कहावत चरितार्थ करते हुए लाखों रुपए कूट लिए।
बताते चयनित अभ्यर्थियों की सूची प्राप्त होते ही स्थापना बाबू जाफरी ने अभ्यर्थियों को काल करके जरूरी औपचारिकता पूरी करने की बात कह कर बुलाया और एक एक अभ्यर्थी को दूर दराज के नियुक्त स्थल पर नियुक्ति की बात कह कर पास के कार्यस्थल देने का नाम पर सौदा किया जिसकी एवज में चालीस हजार से पचास हजार की सेटिंग कर कार्यस्थल दिए गए।
पिछले दो दिनों तक सीएमओ आफिस एटा में अभ्यर्थियों का तांता लगा रहा। हैरंगेज बात तो यह है एक तरफ पूरी सरकार और उसका जिला स्तरीय प्रशासन शासनिक नीत का अच्छा मेसेज देने के लिए प्रयासरत रहा वहीं स्वास्थ विभाग जिम्मेदार पटल सरकार की मंशा के विपरीत खाने कमाने के खेल में भ्रष्टाचार मूक पारदर्शी प्रक्रिया की बखिया उघेड़ता रहा। अब सवाल उठता हैं शासन की रोजगार परक नीति पर दाग लगाने वाले विभाग में बहुचर्चित इस कृत्य का संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री जी कब तक भ्रष्टाचारियों को जेल भेजते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की अति महत्वपूर्ण चयन नीति को दूषित करने वाले आखिर कब तक नियंत्रण में आ सकेंगे ? यह अब देखने की बात होगी । इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा उमेश त्रिपाठी से सरकारी मोबाइल पर अनेकों बार काल करके जानकारी चाही तो तो उन्होंने कोई प्रत्युत्तर नही दिया।
सरकारी विभागों की जन विरोधी दूषित कार्यशैली पर एटा के सुप्रसिद्ध स्व कवि प्रभात किरन जी की पंक्तियां सामयिक प्रतीत होती हैं–
कर रहा ऐलान भ्रष्टाचार कोई रोक ले।
तू या फिर तेरी सरकार कोई रोक ले।
विभागों में बेकाबू भ्रष्टाचार जनित कार्यशैली पर यदि समय रहते अंकुश नही लगा तो इस जिले के अनेक ऐसे मामले शासन की छवि को धूमिल कर सकते है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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