नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का हुआ समापन

प्रभु भक्तों के भाव और श्रद्धा को देखते हैं – बालक दास।

श्रीराम राज्याभिषेक की झांकी का दर्शन कर भक्त हुए निहाल।

नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का हुआ समापन।

अखिल भारतीय सनातन समिति जैतपुरा स्थित मां बागेश्वरी देवी के प्रांगण में चल रहे संगीतमय रामकथा के अंतिम दिन शुक्रवार की देर रात्रि में श्रीराम राज्याभिषेक के साथ संपन्न हो गया।
इस अवसर पर प्रवचन करते हुए पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज ने प्रभु श्री राम के वन में बिताए समय की चर्चा करते हुए तथा शबरी के प्रभु के प्रति प्रेम की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रभु भक्तों के भाव और श्रद्धा को देखते हैं।
उन्होंने कहा कि जंगल में गिद्ध जटायु के भाई संपाती ने प्रभु श्रीराम से माता सीता को जंगल में कहा कि किष्किंधा नरेश सुग्रीव से आप जाकर मिले। वह आपको माता सीता को खोजने में काफी मदद करेंगे यह जानकर प्रभु उनसे जाकर मिले परंतु रास्ते में भूदेव के वेश में प्रथम मुलाकात श्री हनुमान जी से हुई प्रभु ने स्वयं सारा वृत्तांत सुनाया तब हनुमान जी ने माता सीता की खोज में प्रभु का स्मरण कर समुद्र लांग कर लंका में प्रवेश कर माता जानकी का पता लगाकर लौट आए इसके बाद राम रावण के युद्ध में भक्त विभीषण ने प्रभु राम की शरणागति आकर युद्ध में उन्होंने राम की सेना की पूरी मदद की और अंततः मेघनाथ कुंभकरण सहित रावण मारा गया तत्पश्चात विभीषण को लंका का राजा बनाया। प्रभु के हाथ तब महाराज इंद्र ने अपना पुष्पक विमान प्रभु को दिया उसमें सवार होकर राम लक्ष्मण जानकी हनुमान नल नील अंगद विभीषण सहित प्रभु के अयोध्या पहुंचने पर पूरा अयोध्या राममय होकर उनकी जय-जयकार करने लगा।
श्रीराम राज्याभिषेक की झांकी के अवसर पर महापौर अशोक तिवारी भी पहुंचकर
आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्रीराम राज्याभिषेक के अवसर पर प्रांगण में उपस्थित महिलाएं झूम उठी और मंगल गान करते हुए नृत्य करने लगीं।
प्रधान सचिव राजेश सेठ के अनुसार शनिवार सायंकाल प्रांगण में ही विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है।
कथा के विश्राम पर व्यासपीठ की आरती जयशंकर गुप्ता किशोर सेठ रविशंकर सिंह रवि प्रकाश डॉ अजय कुमार सुजीत कुमार ज्ञानचंद मौर्या संजय गुप्ता विष्णु गुप्ता प्रमोद यादव वतन कुशवाहा सत्यनारायण सेठ ने की।
मंच का संचालन प्रधान सचिव राजेश सेठ ने किया।
राजेश सेठ प्रधान सचिव
अखिल भारतीय सनातन समिति।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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