सांडर्स हत्या में महावीर सिंह को हुई थी उम्रकैद

सांडर्स हत्या में महावीर सिंह को हुई थी उम्रकैद, रिपोर्ट योगेश मुदगल

कासगंज, ।अमर बलिदानी व महान क्रांतिकारी महावीर सिंह राठौर की बुधवार को पुण्य तिथि है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वर्ष 1929 में दिल्ली असेंबली में बम फेंकने व सांडर्स की हत्या के आरोप में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी। पटियाली के गांव शाहपुर टहला के निवासी महावीर सिंह की मृत्यु अंडमान निकोबार स्थित सेल्युलर जेल में उस समय हुई अंग्रेजों ने उनकी भूख हड़ताल तुड़वाने की जबरन कोशिश की। कासगंज जिले के एक छोटे से गांव शाहपुर टहला में महावीर सिंह राठौर का जन्म 16 सितम्बर 1904 को हुआ था। गांव शाहपुर टहला कासगंज में एटा जिले की सीमा पर स्थित है। महावीर सिंह राठौर में देशभक्ति का जज्बा बचपन से ही कूटकूट कर भरा था। महावीर सिंह किसी तरह भगत सिंह राजगुरु व सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए। दिल्ली असेंबली में वर्ष 1929 में बम फेंकने व सांडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, सुखदेव के साथ महावीर सिंह को भी हिरासत में ले लिया गया। मु़कदमे की सुनवाई के लिए लाहौर भेज दिया गया और मुकदमे सुनवाई समाप्त सांडर्स की हत्या में भगत सिंह की सहायता करने के अभियोग में महावीर सिंह को उनके सात अन्य साथियों के साथ आजन्म कारावास का दंड दिया गया। भगतसिंह राजगुरु सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों के साथ महावीर सिंह राठौर भी 40 दिनों तक जेल के अंदर ही भूंख हड़ताल पर बैठे रहे। सजा के बाद कुछ दिनों तक पंजाब की जेलों में रखा गया। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और किशोरी लाल के अतिरिक्त बांकी लोगों को मद्रास प्रांत की विभिन्न जेलों में भेज दिया गया।

महावीर सिंह और गयाप्रसाद को बेलोरी सेंट्रल जेल ले जाया गया। जहां से जनवरी 1933 में उन्हें उनके कुछ साथियों के साथ अंडमान निकोबार द्वीप पर काला पानी की सज़ा के लिए भेज दिया गया।

क्रांतिकारी महावीर सिंह राठौर,भूख हड़ताल के दौरान ही हो गई थी मृत्यु

अंडमान निकोबार द्वीप पर सेल्यूलर जेल में काला पानी की सजा काट रहे कासगंज के इस लाल ने भूंख हड़ताल कर दी। अंग्रेजों ने भूख हड़ताल तुड़वाने के लिए महावीर सिंह के मुंह में जबरन दूध डालने का प्रयास किया। महावीर सिंह के प्रतिरोध के कारण दूध उनके फेंफड़ों में चला गया। जिसके कारण 17 मई 1933 को कासगंज के इस वीर सपूत महावीर सिंह की मृत्यु हो गयी। अंग्रेजों ने उनके शव को पत्थरों से बांधकर समन्दर में फेंक दिया। उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके कपड़ों से उनके पिता का एक पत्र मिला। जिसमें लिखा था कि बेटे देश भर से तमाम हीरों को चुनचुनकर वहां इकह्वा किया गया है.. उन हीरों में से तुम भी एक नायाब हीरा हो, मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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