नकारात्मक समाचार का प्रचार प्रसार होना दुर्भाग्यपूर्ण

सोशल मीडिया का सामाजिक प्रभाव: दशा एवं दिशा, दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

नकारात्मक समाचार का प्रचार प्रसार होना दुर्भाग्यपूर्ण
वाराणसी! सोशल मीडिया का समाज में धीरे धीरे बहुत ज्यादा एकाधिकार होता जा रहा है, इसके जरिये ज्यादातर नकारात्मक समाचार का प्रचार प्रसार होना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है! इस पर नियंत्रण के लिए गंभीरता से विचार करना होगा!
सामाजिक विज्ञान विभाग एवं इण्डियन एसोसिएशन आफ जनर्लिस्ट के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “सोशल मीडिया का सामाजिक प्रभाव:दशा एवं दिशा विषय का सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के योग साधना केंद्र में उद्घाटन हुआ! संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो प्रेम नारायण सिंह (निदेशक, अन्तर विश्वविद्यालय शिक्षक शिक्षा केंद्र), अध्यक्षता प्रो हरेराम त्रिपाठी (कुलपति, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी) रहे!
संगोष्ठी का शुभारंभ मंगलाचरण, मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प व अतिथियों व्दारा दीप प्रज्ज्वलन से प्रारम्भ किया गया! अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष, व संयोजक प्रो राजनाथ, संचालन डा कैलाश सिंह विकास (राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईएजे) धन्यवाद प्रकाश पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो शैलेश मिश्र ने किया!
राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिन दो सत्रों में प्रथम सत्र में कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग एवं सद् प्रयोग से होने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला!
मुख्य अतिथि प्रो प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर बढता हुआ आकर्षण एवं इसके बु पड़ने वाले प्रभाव को इंगित करते हुए कहा कि बहुत से व्यक्ति ऐसे है जो कम समय में ज्यादा चर्चित होना चाहते हैं! इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म का उपयोग अपने तरीके से करते हैं!
संगोष्ठी में सर्वश्री डा दीनानाथ सिंह, प्रो हीरक कांति चक्रवर्ती (संकाय प्रमुख), अजय कुमार वर्मा (लखनऊ), कमलेश पटेल, डा महेन्द्र पाण्डेय, प्रो शरद कुमार श्रीवास्तव (गाजीपुर), शिवमूर्ति दूबे, प्रो जे बी मधुसूदन (हैदराबाद), प्रो ओम प्रकाश शर्मा (वरिष्ठ रेडियोलाजिस्ट), आशीर्वाद सिंह, मो दाऊद, आंनद कुमार सिंह, देवेंद्र श्रीवास्तव, रिषि देव उपाध्याय, राजू वर्मा, प्रवीण व्दिवेदी, विक्की वर्मा, प्रकाश आचार्य, गोपाल यादव, राधा सेठ, प्रो जितेंद्र कुमार, प्रो रमेश प्रसाद, प्रो अमित कुमार शुक्ला, प्रो विधु व्दिवेदी, सहित अनेक गणमान्य शामिल रहे!

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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