दिल्ली/एटा- राष्ट्र के चौथे स्तंभ की हो रही उपेक्षा, सरकार और प्रशासन उठाये ठोस कदम- राजू आर्य
● पत्रकारों के साथ हो रहा शोषण और अपमान है चौथे स्तंभ की गरिमा पर धब्बा।
● पत्रकारों की शिकायतों को ससम्मान प्राथमिकता दे प्रशासन, करे त्वरित कार्रवाई।
जनवादी पत्रकार संघ के प्रदेश प्रभारी, भारतीय गौरक्षा वाहिनी के अध्यक्ष ब्रजप्रान्त एवं कट्टरवादी हिन्दू नेता रंजीत कुमार उर्फ राजू आर्य ने कहा की आये दिन पत्रकारों के साथ हो रही बदसलूकी और अपमान पत्रकारिता जगत के साथ हो रहे शोषण की पराकाष्ठा है और एक निंदनीय कृत्य है।
आर्य ने कहा कि पत्रकारिता को कथित रूप से देश का चौथा स्तंभ माना गया है।पत्रकारों के साथ-साथ सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि देश के इस चौथे स्तंभ की गरिमा और मान-सम्मान को किसी भी प्रकार की ठेस न पहुंचने पाए। देश के सर्वांगीण विकास में पत्रकारिता जगत का भी अटूट योगदान रहा है। हर विपरीत और कठोर परिस्तिथियों में भी अपनी सेवा देने वाले पत्रकारों पर हो रहे हमले, गाली गलौज और अभद्रता उनके सम्मान पर गहरा आघात है।
आर्य ने कहा कि किसी भी प्रकार की भौगोलिक, प्राकृतिक, सामाजिक परिस्थिति को चुनौती समझकर देश सेवा में जुटे पत्रकारों का हमें सम्मान करना चाहिए। कई बार प्रशासन और कई जिम्मेदार संगठनों द्वारा भी पत्रकारों के साथ बदसलूकी की घटनाएं सामने आई हैं।सरकार को इन निंदनीय कृत्यों और घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। साथ ही आर्य ने कहा कि प्रशासन को भी पत्राकारों के दायित्वों को मद्देनज़र रखते हुए उनके कार्य की सराहना की जानी चाहिए, साथ ही पत्रकार बंधुओं के साथ हो रही किसी भी अभद्र घटना की शिकायत को ससम्मान प्राथमिकता देते हुए त्वरित प्रशासनिक कार्रवाई करनी चाहिये। आर्य ने अवगत कराया कि जिस प्रकार न्याय पालिका और कार्य पालिका अपने निजी स्वार्थ को त्याग स्वतंत्र रूप से देश सेवा को समर्पित हैं उसी प्रकार पत्रकारिता जगत से जुड़े सभी पत्रकार बंधु अपनी और अपने परिवार की फिक्र और चिंता त्याग राष्ट्र सेवा में समर्पित है। देश में चल रहे कोरोना आपात काल जैसी घातक और जानलेवा परिस्थितियों में भी बिना शस्त्र और बिना ढाल देश सेवा में दी जा रही उनकी सेवाएं इस बात का जीवंत प्रमाण हैं। कोरोना काल में अपनी सेवाएं देते हुए सैकड़ों पत्रकार अपना जीवन गंवा बैठे चुके हैं। इसके बावजूद पत्रकार बंधुओं का हौसला डिगा नही। ऐसे सम्मानित पत्रकार जगत के साथ हो रही उपेक्षा सरकार के लिए अतिविचारणीय है।
बता दें कि रंजीत कुमार उर्फ राजू आर्य दैनिक क्रांति जागरण समाचार पत्र के संपादक भी हैं और कई वर्षों से पत्रकार जगत में अपना अतुलनीय योगदान देते आ रहे हैं। वे पत्रकारिता जगत के कई संगठनों में विभिन्न अहम पदों पर कुशलता पूर्वक क़ाबिज़ रहते हुए सदैव पत्रकारों के हित का मुद्दा बेबाकी से सरकार और प्रशासन के समक्ष रखते आये हैं और पत्रकारों के साथ हो रहे अन्याय और दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त आवाज़ उठाने का माद्दा रखते हैं।
आर्य ने बताया कि 25 मार्च से 30 जून के अंतराल में, जब देश में पूर्ण तालाबंदी का समय चल रहा था उस समय कोरोना की कवरेज कर रहे के पत्रकारों पर 55 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं जो कि चौथे स्तंभ की बेबाकी और स्वतंत्रता को बेड़ियों में जकडने का कृत्य है। जो कि नाक़ाबिले बर्दाश्त है। सरकार को उन सभी मुकदमो को वापस लेने का आदेश जारी करना चाहिए। पत्रकार जगत किसी के भय या दबाव में कार्य करने वाला तंत्र नही है, पत्रकारिता जगत इस देश के संविधान से मिले मौलिक कर्तव्यों के तहत कार्यरत है और पत्रकारों को स्वच्छंद रूप से पत्रकारिता न करने देना पूरी तरह से असंवैधानिक है। पत्रकार बंधुओं के साथ हो रहे अपमान पर अगर सरकार और प्रशासन कोई ठोस कदम नही उठाते हैं तो वह दिन अब अधिक दूर नही जब एक बड़ा पत्रकार जनांदोलन इस प्रदेश में उठ खड़ा होगा, जिसके रूप की कल्पना करना भी असंभव होगा।