@एटा-एटा का विकास देखने और हिसाब पढ़ने में पब्लिक तो अंधी, बेहरी,अनपढ़ है साहब—

एटा जिला तीन विधायक एक सांसद,चार चार रखवालों की देख रेख में इस शहर और आसपास की दुर्दशा सर्मनाक है एक हिरन बाला चिड़ियाघर था उसे जाने कहां खदेड़ दिया अब वहां भैंसों का तबेला बन गया,चार चार सिनेमा घर आज एक भी नहीं मनोरंजन के नाम पर यातायात के नाम एक ढंग की ट्रेन तक नहीं ट्रेन छोड़ो ढंग की बसें तक नशीव नहीं बाबा आदम के ज़माने में बनी सड़कें रोड कालोनियों में जख्मी जख्मी होकर आए दिन इंसानों का लहू पी रही है कहने को बहुत पार्क है एटा में पर कहीं शराबी मवालियों के अड्डे तो कहीं सुसायटी की बपौती लेकिन कोई पार्क ऐसा नहीं है इंसान कुछ बक्त मनोरंजन के नाम पर अपने बच्चों के साथ बैठ सके साल में सैनिक पड़ाव में बार्षिक दो बड़े प्रोग्राम तो फिक्स है ही पर जरा सी बारिश में उसकी सूरत तो देखें यह कुर्सी पर कायम मसीहा, तब हम हकीकत से क्यों समझौता करें कि एटा हमेशा से राजनीति के हाथों ठगा जाता रहा है हां विकास की प्रोग्रेस का हिसाब इन्हीं ठेकेदारों की जुवां और डायरी में होता है पब्लिक तो अंधी बेहरी अनपढ़ हैं साहब।
दीप्ति,