लॉकडाउन की मार / ‘भाबीजी घर पर हैं’ में काम कर रहीं सौम्या टंडन को भी झेलनी पड़ेगी

*लॉकडाउन की मार / ‘भाबीजी घर पर हैं’ में काम कर रहीं सौम्या टंडन को भी झेलनी पड़ेगी फीस में कटौती, बोलीं- ‘महामारी बहुत बुरे परिणाम लेकर आई है’* सौम्या टंडन इस समय ‘भाबीजी घर पर हैं’ जैसे चर्चित टीवी शो में काम कर रही हैं। वह इस शो में गोरी मेम के किरदार में नजर आती हैं। शो की शूटिंग लॉकडाउन के चलते बंद हो गई थी लेकिन अब अनलॉक होने के बाद धीरे-धीरे सीरियलों की शूटिंग दोबारा शुरू हो रही है। हालांकि, कोरोना के चलते अब हालात पहले जैसे नहीं हैं। कोरोना के कारण हर इंडस्ट्री को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। कई लोग अपनी नौकरी से हाथ धो बैठे हैं तो कइयों की सैलरी कम कर दी गई है। टीवी इंडस्ट्री पर भी कोरोना की मार पड़ी है। यहां भी टीवी स्टार्स को अब पे-कट का सामना करना पड़ रहा है। सौम्या भी इससे अछूती नहीं हैं। उन्हें भी अपनी फीस में कटौती करने के लिए कहा गया है। सौम्या ने इस बात की जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में दी। सौम्या ने कहा, ‘पे-कट सिर्फ मेरे लिए नहीं है, यह सबके साथ हो रहा है। यह केवल इंडस्ट्री में ही नहीं हो रहा, हर तरफ यही हाल है। हम आगे जो काम करेंगे ये उसके लिए लागू होगा, न कि जो काम हम कर चुके हैं। पेंडिंग पेमेंट के साथ ये नहीं किया जाएगा।’ सौम्या ने आगे कहा,’महामारी कई मायनों में बहुत बुरे परिणाम लेकर आई है। ऐसे में मैं ही नहीं मेरे अन्य टेलीविजन दोस्तों को भी पे-कट का सामना करना पड़ रहा है। सभी प्रोडक्शन हाउस ने आर्टिस्ट को इन्फॉर्म कर दिया है कि आगे के कामों के लिए फीस में कटौती की जाएगी।’ पेंडिंग है सौम्या की फीस: इससे पहले एक इंटरव्यू में सौम्या ने कहा था, ‘मेरी पेमेंट काफी ज्यादा बची है जो अभी क्लियर होनी बाकी है। मैं प्रोडक्शन पर शक नहीं कर रही हूं, मुझे यकीन है कि वो जल्द ही इसे क्लियर करेंगे। कुछ एक्टर्स लंबे समय तक इसे झेल सकते हैं लेकिन कुछ नहीं। उन्हें किराया देना है, अपने परिजनों का ध्यान रखना है। ये दुख की बात है कि पेमेंट रुकी है’। आगे उन्होंने कहा था, ‘कई लोगों का कहना है कि चैनल को विज्ञापन नहीं मिल रहे हैं। उनके पास भी पैसे नहीं हैं मगर हमारी पेमेंट उस काम की है जो हम कर चुके हैं। हम 90 दिनों के क्रेडिट पीरियड पर काम करते हैं। मेरा मानना है कि हमारे काम की रेवेन्यू पहले ही मिल चुकी है इसलिए पेमेंट क्लियर कर देना चाहिए। मैं फिर भी इसे झेल सकती हूं मगर कई लोग नहीं रह पाएंगे’।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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