आरबीएसके के प्रयास से 3 बच्चे कराए गए एनआरसी में भर्ती –
एटा,

जिला अस्पताल में बने पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाकर बच्चों को नई जिंदगी देने का प्रयास चल रहा है। इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को प्रारंभिक रूप से 14 दिन भर्ती कराकर उन्हें पोषण युक्त आहार देकर डॉक्टरों की टीम द्वारा उनका इलाज किया जाता है। इसी के तहत गुरुवार को 3 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र लाया गया है।
आरबीएसके टीम ए निधौली कला से डॉ इशरत ने बताया कि उनके व डॉ रमेश राजपूत द्वारा एक वर्षीय अर्जुन को एनआरसी केंद्र पर भर्ती कराया गया है। अर्जुन का वजन इस समय 4 किलो है। पहले अर्जुन के दिल में छेद का ऑपरेशन हुआ था। जिसके बाद फॉलो अप के पश्चात कुपोषित पाए जाने पर अर्जुन को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया है। यहां बाल रोग विशेषज्ञ की देखरेख में अर्जुन को कुपोषण मुक्त बनाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही आरबीएसके टीम बी शीतलपुर से डॉ कुलदीप पांडे व रतनेश द्वारा 7 माह के जेपी को एवं आरबीएसके टीम बी अलीगंज से डॉ हर्ष भारद्वाज द्वारा 4 वर्षीय मंजरी को पोषण पुनर्वास केंद्र पर भर्ती कराया गया है। इस समय मंजरी का वजन 8.9 किलो है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि आरबीएसके टीमों को अति कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराकर इलाज कराने के लिए निर्देशित किया गया है। जिससे कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाया जा सके।उन्होंने कहा कि अभिभावकों को अपने अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करा कर मिलने वाली निशुल्क सुविधाओं का लाभ लेना चाहिए। एनआरसी केंद्र पर बच्चों के निशुल्क दवा, सुपोषित भोजन,उचित देखरेख की व्यवस्था होती है। साथ ही भर्ती के दौरान बच्चों की मां को 50 रुपए प्रतिदिन दैनिक भत्ता के साथ निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की जाती है।
मेडिकल ऑफिसर/बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आकांक्षा सिंह ने बताया कि केंद्र में 6 माह से 5 साल तक के कुपोषित बच्चे रखे जाते हैं। यहां शुरुआती दौर में 14 दिन रखकर बच्चों को इलाज व पोषण तत्वों से युक्त आहार दिया जाता है।इस दौरान भर्ती होने वाले बच्चों के लिए स्पेशल डाइट तैयार की जाती है इसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन ,वसा जैसे जरूरी तत्व होते हैं यह भोजन शुरुआती दौर में बच्चे को दो-दो घंटे बाद दिया जाता है यह प्रक्रिया रात में भी चलती रहती है। इसके अलावा केंद्र पर माताओं को सुपोषण से संबंधित जरूरी प्रशिक्षण भी दिया जाता है।