सिविल अस्पताल मऊगंज में मरीजों के लिए तय भोजन पर कथित ठेकेदार और अस्पताल प्रबंधन डाल रहा डाका
मीनू चार्ट तक सीमित पौष्टिक भोजन…सीएमएचओ की भूमिका संदिग्ध

मऊगंज – सिविल अस्पताल मऊगंज चिकित्सकों की मनमानी और प्रबंधन की भ्रस्ट कार्यशैली के चलते हमेशा की तरह एक बार पुनः सुर्खियों में है।
जिस पर पूर्व विधानसभा सभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और कलेक्टर रीवा द्वारा लगाम कसने की कोशिश विफल रही है।
अस्पताल में मची अंधेरगर्दी चलते ही बीएमओ एसडी कोल को सिंगरौली के स्थानांतरित किया गया लेकिन अपने खराब स्वास्थ्य का हबाले देते हुए स्थानांतरण को लेकर न्यायालय से स्थगन ले लिया जिसके बाद अस्पताल में अधिकारी व कर्मचारियों की मनमानी जोरो पर है हद तो तब हो जाती है जब मरीजों को दिए जाने वाले भोजन पर बीएमओ,बड़ा बाबू व सक्रिय दलाल कथित ठेकेदार मिलकर डाका डाल रहे हैं.भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज कराने आए मरीजों के लिए भोजन की व्यवस्था करता है. इसके तहत गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा सुपाच्य एवं हाई न्यूट्रिशंस युक्त भोजन उपलब्ध कराना है, प्रसूता महिलाओं से लेकर अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए निर्धारित मीनू चार्ट के अनुसार भोजन-नाश्ता कुछ भी नहीं दिया जा रहा है. पौष्टिक आहार, फल,दूध तो छोड़िए हरी सब्जियां भी नदारद रहती हैं।
मरीजों व प्रसूताओ को मिलने बाला भोजन नाश्ता खाकर लाखो रुपये डकारे
सिविल अस्पताल मऊगंज मे भर्ती प्रसूताओ व मरीजों को मिलने बाला नास्ता,भोजन,फल अधिकारी खाकर लाखो रूपये हर महीने डकार रहे है,जहां पर वच्चा पैदा होने के कुछ घंटे बाद ही प्रसूताओ को घर भेज दिया जाता है,और उनके नाम पर 72 घंटे तक रिकार्ड मे फल नाश्ता सहित भोजन परोसा जा रहा है,आगर सही जांच हो जाय तो लाखो का भ्रस्टाचार सामने आयेगा,इस तरह के चंल रहे भ्रष्टाचार के खेल में सीएमएचओ की भूमिका भी संदिग्ध दिखाई दे रही है,क्योंकि लंबे समय से शिकायतों के बाद भी आज तक पोषण पुनर्वास केंद्र व लेबर रूम में मिलने वाले प्रसूताओ को फल नाश्ता भोजन की जांच तक नही हुई,और कागजों में ही भोजन पकाया व हजम किया जा रहा है।