सूर्य ग्रहण का पर्व मानव जीवन को तीन प्रमुख सीखें प्रदान करता है।

राधे राधे॥भगवद चिन्तन॥राधे राधे
” सूर्य ग्रहण से सीख “
सूर्य ग्रहण का पर्व मानव जीवन को तीन प्रमुख सीखें प्रदान करता है।
🌹पहली – इस सृष्टि में सब कुछ परिवर्तनशील है। इस भू मण्डल पर शाश्वत जैसा कुछ भी नहीं। समस्त चराचर जगत को प्रकाशित करने वाले सूर्य देव की किरणों को भी कुछ समय के लिए ही सही मगर पृथ्वी तक पहुँचने में असमर्थता हो जाती है अथवा पृथ्वी से सूर्य किरणों का ह्रास हो जाता है।
🌹 दूसरी – जीवन में सदैव अवरोध आते रहेंगे। यात्रा जितनी लंबी होगी अथवा लक्ष्य जितना श्रेष्ठ होगा अवरोध भी उतने ही उत्पन्न होंगे। बस उन क्षणों में धैर्य का परिचय देते हुए ये विचार करें कि जब सुख ही शाश्वत नहीं रहा तो दुख की क्या औकात है..? समय बुरा हो सकता है मगर जीवन कदापि नहीं। ये वक्त भी गुजर जायेगा, बस इतना ध्यान रहे।
🌹तीसरी – एक महत्वपूर्ण बात और वो ये कि जिस प्रकार सूर्य ग्रहण लगने पर भी मूल रूप से भगवान सूर्य नारायण में कोई परिवर्तन नहीं आता। दूर से देखने पर लगेगा कि सूर्य पर अंधेरा छा गया है जबकि यथार्थ में सूर्य की स्थिति सम बनी रहती है। ऐसे ही जीवन के सुख – दुख, मान – अपमान, अनुकूलता – प्रतिकूलता एवं यश – अपयश में आत्मा भी निर्लेप ही रहती है।
🌹जीवन में बाहरी स्थितियाँ अवश्य परिवर्तनशील हैं मगर आत्मा सदैव इन सब से परे अपनी आनंद अवस्था में ही रहती है। बस हमारी दृष्टि बदल जाए और ये भीतर का शाश्वत आनंद हमारे जीवन में भी छलक पड़े।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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