भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता का प्रसंग

भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता का प्रसंग

भाव विभोर हो उठे श्रोता ततारपुर अब्बल
एटा।जनपद एटा के कस्बा पिलुआ के पास ततारपुर अब्बल गांव में पथवारी माता के मन्दिर के पास चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र की कथा सुनाकर एवं कृष्ण सुदामा के मिलन की झांकी का दृष्य देख पंडाल में मौजूद श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। अद्भुत झांकी ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और एक स्वर में राधे- कृष्ण के जयकारों से पंडाल गुंजायमान हो उठा। सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए।शास्री प्रीती ने कहा कि मनुष्य स्वयं को भगवान बनाने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करें क्योंकि भक्ति भाव देख कर जब प्रभु में वात्सल्य जागता है तो वे सब कुछ छोड़ कर अपने भक्तरूपी संतान के पास दौडे़ चले आते हैं।
गृहस्थ जीवन में मनुश्य तनाव में जीता है जब कि संत सद्भाव में जीता है। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ नि:स्वार्थ थी उन्होंने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गए चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सबकुछ प्रदान कर दिया।
जैसे ही कथा पंडाल में भगवान श्री कृष्ण एवं सुदामा के मिलन का सजीव चित्रण करती हुई झांकी प्रस्तुत की गई तो पूरा पंडाल भाव विभोर हो गया।कथा आयोजक कमेटी के सदस्यों
श्रीमती VidiyaDave.प्रमोद कुमार. ब्रजेश कुमार.रामनरेश कुमार आदि लोगों ने बताया कि आज कथा का विराम दिवस है कल कथा पांडाल में विशाल भंडारे का आयोजन है सभी भक्तगणों से अनुरोध है कि भारी संख्या में आकर अपना सहयोग और प्रसाद ग्रहण करने अवश्य आयें।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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