
लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती,मुरली मनोहर जोशी जैसे 32 आरोपियों को बाबरी विध्वंस मामले में बरी करने वाले रिटायर्ड जज सुरेंद्र कुमार यादव को यूपी सरकार ने प्रदेश का नया उप लोकायुक्त चुना है। इस चयन से कइयों को हैरत हो रही है जबकि हमे इसपर कोई आश्चर्य नही है। हैरानी तो तब होती जब यादव जी को छोड़ दिया जाता। अब जरा पीछे चलिए और याद कीजिए कि गोधरा कांड की जांच कर सबको क्लीन चिट देने वाले राकेश अस्थाना आज CBI के विशेष निदेशक हैं। करनैल सिंह गुजरात दंगों की जांच के लिए गठित SIT के सदस्य थे। आज ED के निदेशक हैं। गुलबर्ग सोसायटी जांच में SIT के एक सदस्य योगेश मोदी थे। आज NIA में D.G हैं। रॉफेल घोटाले में सरकार को क्लीन चिट देने वाले सुप्रीम जज रंजन गगोई आज राज्यसभा सदस्य हैं। कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले को सार्वजनिक करने वाले तत्कालीन CAG विनोद राय अब विश्व की सबसे धनी संस्था BCCI के अंतरिम अध्यक्ष हैं। दरअसल ये अपने काम आने वालों को ईनाम इकराम से नवाज़ने का गुजरात मॉडल है। जिसमे कोई नैतिकता नही होती। सही हो या गलत जो करते हैं,खुलेआम करते हैं और बदले में पुरुस्कृत होते हैं। बेहतरीन ऑफ्टर रिटायरमेंट पैकेज भी इसी काल मे आरम्भ हुआ है। एक उदाहरण जस्टिस लोया और अशोक खेमका का भी है। ये सब याद रखा जाएगा।