धर्मांतरण की अनुमति पर जोर देकर अंतरधार्मिक विवाह पंजीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंसद के अधिकार की पुष्टि की

Legal Update

धर्मांतरण की अनुमति पर जोर देकर अंतरधार्मिक विवाह पंजीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंसद के अधिकार की पुष्टि की

===========================

????इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह पंजीयक/अधिकारी के पास, केवल इस कारण से कि पक्षों ने जिला प्राधिकरण से धर्मांतरण की आवश्यक स्वीकृति प्राप्त नहीं की है, विवाह के पंजीकरण को रोकने की शक्ति नहीं है। जस्टिस सुनीत कुमार की पीठ ने अंतरधार्मिक विवाह संबंधित याचिकाओं पर (17 याचिकाएं) सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

????सभी याचिकाओं में समानता है कि याचिकाकर्ताओं ने धर्मातरण के बाद अंतर्धार्मिक विवाह किया है। याचिकाकर्ता वयस्क हैं और उनकी दलील है कि उन्होंने धर्मांतरण अपनी इच्छा से किया है। कुछ याचिकाकर्ता उच्च स्तर के पेशेवर और स्नातक हैं, जबकि कुछ माध्यमिक परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं की है। उन्होंने अपने परिजानों से आपने जीवन के लिए आशंका जाहिर की है।

⏺️प्रस्तुतियां राज्य ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता कोर्ट से किसी भी राहत के हकदार नहीं हैं और उन्हें सक्षम जिला प्राधिकारी से संपर्क करना चाहिए। उन्हें धर्मांतरण के संबंध में अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए।

⚫ याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विवाह के पंजीकरण के बाद जिला प्राधिकरण की पूर्व स्वीकृति धर्मांतरण और विवाह से पहले अनिवार्य नहीं है और यहां तक ​​कि धर्मांतरण से पहले प्राधिकरण की मंजूरी नहीं होने के बवाजूद याचिकाकर्ताओं को वयस्क होने के नाते एक दूसरे के सा‌थ रहने का अधिकार है।

????उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नागरिकों को अपने साथी या धार्मिक व‌िश्वास का चुनाव करने का अधिकार है और राज्य या निजी उत्तरदाताओं द्वारा हस्तक्षेप स्वतंत्रता, पसंद, जीवन, जीने के उनके संवैधानिक अधिकार का अतिक्रमण करने के समान होगा। अवलोकन शुरुआत में, न्यायालय ने कहा कि भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को विचार, विवेक और धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जिसमें धर्म की स्वतंत्रता, धर्म और विश्वास को बदलने की स्वतंत्रता शामिल है।

????इसके अलावा, विशेष विवाह अधिनियम का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में जहां समाज ने काफी प्रगति की है, धर्मनिरपेक्ष स्थान और नागरिक की गतिशीलता के विस्तार की पृष्ठभूमि में, विशेष विवाह अधिनियम, अनिवार्य नोटिस, सभी विवरणों की घोषणा, और उस पर आपत्तियां आमंत्रित करना, इसे सार्वजनिक जांच के अधीन करना संविधान के तहत याचिकाकर्ताओं को दी गई स्वतंत्रता और गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

0️⃣ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि उक्त कानून के तहत अंतरधार्मिक विवाह प्रतिबंधित नहीं है।

???? कोर्ट ने आगे कहा कि अगर व‌िवाह पर किसी एक पक्ष के माता-पिता, भाई और बहन को आपत्ति है तो यह विवाह को रद्द नहीं करेगा यदि यह वैध है और पार्टियां वयस्क हैं। इस बात पर बल देते हुए कि सक्षम न्यायालय से घोषणा की मांग की जानी चाहिए।

⏹️कोर्ट ने कहा, “मैरिज रजिस्ट्रार/अधिकारी केवल एक आरोप या किसी पीड़ित व्यक्ति की शिकायत पर विवाह के पंजीकरण से इनकार नहीं कर सकता…।” कोर्ट ने जोर देकर कहा कि वह चरण आ गया है कि संसद को हस्तक्षेप करना चाहिए और जांच करनी चाहिए कि क्या देश को विवाह और पंजीकरण कानूनों की बहुलता की आवश्यकता है या विवाह के पक्षों को एकल परिवार संहिता की छत्रछाया में लाया जाना चाहिए।

???? कोर्ट ने भारत सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित अनुच्छेद 44 के जनादेश को लागू करने के लिए एक समिति/आयोग के गठन पर विचार करने के लिए कहा। रिट याचिकाओं को निम्नलिखित आदेश के साथ अनुमति दी गई- -राज्य और निजी उत्तरदाताओं को याचिकाकर्ताओं के जीवन, स्वतंत्रता और गोपनीयता में हस्तक्षेप करने से रोका जाता है..; -संबंधित जिलों के पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और मांगे जाने या जरूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे;

❇️-संबंधित जिलों के विवाह पंजीयक/अधिकारी को धर्म परिवर्तन के संबंध में सक्षम जिला प्राधिकारी के अनुमोदन के आग्रह/प्रतीक्षा के बिना, याचिकाकर्ताओं के विवाह को तत्काल पंजीकृत करने का निर्देश दिया जाता है; -यह पीड़ित पक्ष के लिए, धोखाधड़ी और गलत बयानी की स्थिति में, कानून का सहारा लेने के लिए खुला होगा,

???? दोनों – आपराधिक और दीवानी, जिसमें सक्षम मंच के समक्ष विवाह को रद्द करना शामिल है; -राज्य सरकार विवाह रजिस्ट्रार/अधिकारी, जिला प्राधिकरण को इस आदेश के अनुपालन एवं क्रियान्वयन हेतु उचित शासनादेश जारी करे।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× अब ई पेपर यहाँ भी उपलब्ध है
अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks