पुलिस के वेतनमान और कामकाज की स्थितियों में सुधार लाने की जरूरत..!

पुलिस ही संकट में रहेगी तो नागरिकों की सुरक्षा कैसे करेगी?

पुलिस के वेतनमान और कामकाज की स्थितियों में सुधार लाने की जरूरत..!

कोरोना महामारी के दौरान देश के डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारियों इत्यादि ने तो अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया ही, लेकिन पुलिस वालों का योगदान भी काफी सराहनीय रहा। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी इस महामारी का शिकार हुए। लेकिन आज हमारी यह पुलिस हर तरह से संकट में है। इस ओर न तो जनप्रतिनिधियों का ध्यान जाता है, न ही सरकारों का। यदि हम आज पुलिस वालों की आर्थिक स्थिति की बात करें, तो वह कहीं से संतोषजनक नहीं कही जा सकती।पुलिस वालों (आरक्षक) के लिए साइकिल भत्ता (1861 से) और पे ग्रेड लगभग उन्नीस सौ रुपए ही है जो अपने आप में ही हास्यास्पद है और इसी कारण आज इनकी आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है।
यदि हम पुलिस वालों की मानसिक स्थिति की बात करें तो यह तो और भी दुखद है। इसका मूल कारण है पुलिस वालों के लिए नियमित अवकाश की व्यवस्था आज भी नहीं है!इस कारण इनका पारिवारिक और सामाजिक जीवन लगभग समाप्त-सा हो जाता है! पुलिस पर अपराध नियंत्रण के साथ-साथ कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की भी जिम्मेदारी होती है, इससे उस पर काम का दबाव और बढ़ जाता है। इसलिए अब पुलिस के वेतनमान और कामकाज की स्थितियों में सुधार लाने पर विचार होना चाहिए।कहने के जितने भी पुलिस सुधार आयोग और कमेटियां बनीं, उन सभी ने इस पर खासा जोर दिया!लेकिन विडंबना यह है कि आज तक किसी भी सिफारिश को लागू नहीं किया गया! अगर पुलिस ही संकट में रहेगी तो नागरिकों की सुरक्षा कैसे करेगी?

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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