
देश की जनता किस पर करें विश्वास भगवान विज्ञान या अफवाह पर , बीमारी भी धर्म और जाति देखकर आती है क्या ? , सबसे ज्यादा चौंकाने वाला ,
देश में सबसे ज्यादा सत्तासीन कांग्रेस थी लेकिन विरोधियों के समर्थकों के साथ ऐसा व्यवहार तो नहीं किया होगा , पहले क्या था किसी भी पार्टी का सांसद विधायक जब वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखता था बीमारी के इलाज के लिए तो विवेकाधीन कोष से धन देने के लिए तो निश्चित बीमार को मिल जाता है , लेकिन हाल के दिनों में परिवर्तन दिखने लगा है ,केंद्र सरकार में भी कई सांसद अपने मित्र मंत्रियों के पास गए विकास के लिए मंत्री ने हाथ जोड़ लिए आप मेरे मित्र हैं लेकिन मेरी मजबूरी है ,वहीं हालात उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल रही है एक जानकारी के अनुसार विपक्षी विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से पैसा मांगने पर जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है ,एक विधायक ने बताया कि एक अधिकारी से मिलने गए की 6 महीने हो गए और आपने पैसा स्वीकृत नहीं किया उस अधिकारी में हाथ जोड़ लिया का हमारी मजबूरी है हम नहीं दे सकते हैं ,इससे अच्छा यह है कि भाजपा के किसी विधायक या नेता से पत्र लिखवा लीजिए वह हो जाएगा , लोकतंत्र की एक खूबसूरती है कि विरोध करने की, क्या जनता जिसका विरोध करेगी उसको कुछ नहीं मिलेगा तो क्या जनता हमेशा खूंटे में बंध कर रहे ,