अटल जी की आज याद पर यह भी एक जरूरी मुद्दा.

विशेष लेख…. सरसावा क्षेत्र की महत्वपूर्ण खबर…
आज भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है। 2018 से लेकर 2025 तक हर वर्ष देश ने उन्हें याद किया, उनकी कविताओं को दोहराया और उनके योगदान को नमन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने लंबे समय तक अटल जी के साथ काम किया, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ—दोनों ही उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। यही कारण है कि केंद्र और प्रदेश सरकारें लगातार घाटों के सुंदरीकरण और नदियों के संरक्षण की योजनाएं चला रही हैं। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है—स्मृतियों को सहेजना और आस्था को संवारना।
लेकिन इसी बीच एक कड़वा सच यह भी है कि जहां योजनाएं हैं, वहीं स्थानीय स्तर पर उदासीनता भी है। सहारनपुर ज़िले के सरसावा क्षेत्र में शाहजहांपुर गांव के पास यमुना नदी का वह स्थान, जहां 23 अगस्त 2018 को अटल जी की अस्थियां प्रवाहित की गई थीं, आज भी उपेक्षित है। इस घाट को “अटल घाट” नाम तो मिल गया, पर उसकी गरिमा आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई।
गंदगी, बेतरतीब पत्थर और सीढ़ियों का अभाव श्रद्धालुओं को परेशान करता है। लोग त्योहारों पर — चाहे होली, दिवाली, सावन की कांवड़ यात्रा हो या बागड़ यात्रा — भारी संख्या में यहां पहुंचते हैं। लेकिन उन्हें किसी सुव्यवस्थित घाट की बजाय असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। यह लापरवाही न सरकार की योजनाओं की कमजोरी है और न ही उसकी नीयत की, बल्कि यह स्थानीय स्तर पर बैठे जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी का परिणाम है।
दरअसल, सरकार का इरादा साफ़ है। मोदी सरकार हो या योगी सरकार, दोनों ही अटल जी को राष्ट्रपुरुष मानते हैं और उनकी स्मृतियों को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं। सवाल यह है कि जब शीर्ष नेतृत्व लगातार योजनाएं और नीतियां बना रहा है, तब स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी उनकी मंशा को धरातल तक क्यों नहीं पहुंचा पा रहे?
सरसावा का अटल घाट केवल पूजा-अर्चना का स्थल नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर है। यहां के सौंदर्यीकरण और विकास की जिम्मेदारी अब सीधे तौर पर स्थानीय प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अमले पर है। वे चाहे तो इस घाट को श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक आदर्श केंद्र बना सकते हैं, जो न केवल क्षेत्र की पहचान बनेगा बल्कि अटल जी की स्मृतियों को भी जीवंत रखेगा।
आज अटल जी की पुण्यतिथि पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि श्रद्धांजलि केवल पुष्पांजलि और भाषणों तक सीमित न रहे। सरकार की योजनाओं का लाभ तभी सार्थक होगा जब स्थानीय प्रतिनिधि और अधिकारी अपनी आंखों से पट्टी हटाकर अटल घाट की वास्तविक स्थिति को देखेंगे और उसे बदलने की ठोस पहल करेंगे।
यही अटल जी के प्रति सच्चा सम्मान होगा, यही सरसावा की अस्मिता को नया स्वरूप देगा।