
नई दिल्ली…
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की अपील खारिज की
प्रभारी प्रधानाध्यापकों को मिलेगा प्रधानाध्यापक का वेतन
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े प्रभारी प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यापिका के वेतन मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दायर स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बुधवार को मामला सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट संख्या 13 में क्रम संख्या 21 पर सूचीबद्ध था। सुनवाई के दौरान पहले पास ओवर हुआ, जिसके बाद दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई हुई। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पैरवी की, जबकि अधिवक्ता राकेश मिश्रा ने प्रभारी प्रधानाध्यापकों का पक्ष रखा। सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की अपील खारिज कर दी।
मामले की पृष्ठभूमि
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2025 को अपने आदेश में कहा था कि जो सहायक अध्यापक पाँच वर्ष का अनुभव रखते हैं और लंबे समय से प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य कर रहे हैं, उन्हें उस पद का वेतन और एरियर दिया जाए। हालांकि, एरियर अधिकतम तीन वर्ष पूर्व तक ही मिलेगा।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि—
राज्य केवल टीईटी योग्यता न होने के आधार पर वेतन रोक नहीं सकता, खासकर तब जब नियुक्ति के समय टीईटी अनिवार्य नहीं था और सरकार ने उन्हें टीईटी कराने की कोई व्यवस्था भी नहीं की।
पुराने पद स्वतः समाप्त नहीं होते और जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, प्रधानाध्यापक का पद जारी रहेगा।
यथासंभव वरिष्ठ सहायक अध्यापक को ही प्रभारी प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यापिका की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए, ताकि कनिष्ठ और वरिष्ठ के बीच विवाद या असंतोष की स्थिति न बने।