जेल में बंद हर कैदी अपराधी नहीं होता , और हर अपराधी कैदी भी नहीं होता : कवियों की रचनाओं से गूंजा केंद्रीय कारागार

बरेली। आज मंगलवार को केंद्रीय कारागार द्वितीय में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के सूत्रधार एवं संचालक मंजुल मयंक रहे। देशभर से आए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कवियों ने मंच साझा किया, जिनमें पीलीभीत से उमेश त्रिगुणायत, प्रशांत पाठक, छिबरामऊ से जितेश राज नक्श, लखनऊ से श्रीमती किरण प्रजापति, फीरोजाबाद से हाशमी, एटा से रमेश मधुकर, बरेली से कमलकांत तिवारी और लढूपुरा से विष्णु उपाध्याय शामिल रहे।
कवियों ने स्वतंत्रता दिवस और देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाएं सुनाकर माहौल को भावुक और ऊर्जावान बना दिया। एक कवि ने कहा—
“जेल में बंद हर कैदी अपराधी नहीं होता,
और हर अपराधी कैदी नहीं होता।” दूसरे कवि ने पंक्तियों से देश की उपलब्धियों और गर्व को स्वर दिया—
“कुछ बात तो है हिंदुस्तान में जो परचम है चांद पर,
और हमने ना कभी जहां परचम पर चांद हो।”

कार्यक्रम के बीच वरिष्ठ जेल अधीक्षक विपिन मिश्र ने कहा कि बंदियों को अपना आचरण सुधारना चाहिए, ताकि जेल में कैदियों की संख्या में कमी आ सके।
इस मौके पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक विपिन मिश्र,जेलर आनंद सिंह, शैलेश कुमार सिंह, डिप्टी जेलर अंजुली वर्मा, पीयूष पाण्डेय, चैतेन्द्र प्रसाद, किरण कुमारी, रीता सागर सहित सेवानिवृत्त जेल कर्मी अयूब खान, मुजफ्फर बाबू, कृष्णा कुमारी और राम अवतार सिंह मौजूद रहे।

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पं.सत्यम शर्मा

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