
बरेली: बीमारियाँ हमेशा से समाज के लिए एक गंभीर अभिशाप रही हैं। मानव पीड़ा को कम करने की दिशा में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने वर्षों से मिलकर निरंतर प्रयास किए हैं, जिससे डायग्नोसिस एंड डिजीज मैनेजमेंट में काफी सुधार आया है। जहां एक सदी पहले इंफेक्शियस डिजीज मृत्यु का सबसे बड़ा कारण थे, वहीं एंटीबायोटिक्स की खोज के बाद यह खतरा काफी हद तक नियंत्रित किया जा सका।
वर्तमान समय में दिल की बीमारियाँ विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों में मृत्यु का प्रमुख कारण बन चुकी हैं। हालांकि ये बीमारियाँ समाज और परिवार पर गंभीर प्रभाव डालती हैं, लेकिन इन्हें रोका जा सकता है।
दिल की बीमारियों के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। तेज़ी से होता शहरीकरण, बैठने की जीवनशैली, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियाँ, बढ़ता प्रदूषण, मानसिक तनाव, धूम्रपान की लत और स्वादिष्ट लेकिन अनहेल्दी जंक फूड का बढ़ता चलन—ये सभी कारण दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं और रोग का बोझ बढ़ाते हैं।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के नॉन इनवेसिव कार्डियोलॉजी विभाग के प्रिंसिपल कंसल्टेंट एवं इंचार्ज डॉ. कपिल देव मोहिन्द्रा ने बताया कि “’बचाव इलाज से बेहतर है’ यह पुरानी कहावत आज भी उतनी ही सार्थक है। दिल की बीमारियों से बचाव के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव और नकारात्मक सोच से दूरी जरूरी है। ध्यान, योग, सकारात्मक सोच और अच्छे लोगों की संगत से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाना भी दिल की सेहत को दुरुस्त रखने में मदद करता है। सकारात्मक भावनाएँ, आशावाद और जीवन का उद्देश्य न केवल सकारात्मक मनोविज्ञान का आधार हैं, बल्कि ये सकारात्मक स्वास्थ्य के भी अहम स्तंभ हैं। इलाज पर भारी खर्च करने की बजाय बेहतर यह है कि हम जीवनभर अपने दिल का ध्यान रखें और समय-समय पर चिकित्सक की सलाह के अनुसार स्वास्थ्य जांच करवाएं। यह जानना बेहद जरूरी है कि हर दिल का दौरा छाती में दर्द के रूप में सामने नहीं आता। कभी-कभी यह गैस्ट्रिक परेशानी जैसे लक्षणों के रूप में भी सामने आ सकता है। ऐसे में स्वयं दवा लेने के बजाय एक साधारण नॉन-इनवेसिव जांच जैसे ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) करवाना बेहतर है, जिससे समय रहते उपचार किया जा सकता है।“
हृदय से संबंधित कई जांचें होती हैं जो यह जानने में मदद करती हैं कि किसी व्यक्ति को दिल की बीमारी का खतरा है या नहीं, और क्या उपचार आवश्यक है। अधिकतर जांचें नॉन-इनवेसिव होती हैं, यानी इनके लिए शरीर में किसी यंत्र को डालने की जरूरत नहीं होती। ये जांचें नए लक्षणों जैसे सीने में असहजता, सांस फूलना या अनियमित धड़कन के कारणों का पता लगाने में डॉक्टर की मदद करती हैं।
डॉ. मोहिन्द्रा ने आगे बताया कि “हृदय की सेहत की जांच के लिए आज कई आधुनिक और सरल विधियाँ उपलब्ध हैं। इकोकार्डियोग्राम, जिसे आमतौर पर हार्ट अल्ट्रासाउंड कहा जाता है, दिल की संरचना और वाल्व की कार्यक्षमता का आकलन करने में मदद करता है। यह विशेष रूप से सीने में दर्द या सांस की कमी के कारणों को समझने में सहायक होता है। इसी तरह, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटीज़ और धड़कन की नियमितता की जांच करता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि सीने में दर्द का कारण दिल का दौरा या एंजाइना है या नहीं। ECG पेसमेकर जैसी डिवाइस की कार्यप्रणाली को परखने में भी उपयोगी है।“
एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट (TMT) व्यायाम के दौरान हृदय की प्रतिक्रिया को जांचता है और यह सुनिश्चित करता है कि दिल शारीरिक गतिविधियों के लिए तैयार है या नहीं। ये सभी जांचें बिना रेडिएशन के होती हैं, त्वरित होती हैं और आसानी से उपलब्ध हैं।