विश्व पत्रकारिता दिवस के अवसर पर एक पत्रकार का उत्पीड़न यह इतिहास में पहली बार हुआ

मध्यप्रदेश के भिंड में पत्रकारों के साथ पुलिस की बर्बरता पर इंटरनेशनल मीडिया आर्मी एवं भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने दी चेतावनी अगर पुलिस अधीक्षक के ऊपर कारवाई नहीं हुई तो पूरे प्रदेश में आंदोलन का होगा ऐलान।

मध्य प्रदेश भिंड,
खबर छापने पर पत्रकार को खानी पड़ी चप्पलें, SP पर लगे गंभीर आरोप, भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी के संस्थापक एके बिंदुसार ने बड़े आंदोलन की दी चेतावनी।

मध्यप्रदेश
भिंड में पत्रकारों के साथ पुलिस की बर्बरता को संज्ञान में लेते हुए भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी ने जोरदार आवाज उठाई ।
वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया सरकार एके बिंदुसार ने कहा कि खबर छापने पर पत्रकार को चप्पलों से SP के मौजूदगी में मारा गया यह यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर जबर्दस्त प्रहार है ।
श्री बिंदुसार ने कहा कि विश्व पत्रकारिता दिवस के अवसर पर एक पत्रकार का उत्पीड़न यह इतिहास में पहली बार हुआ है। मध्य प्रदेश की सरकार पत्रकार की दुश्मन है ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए पत्रकारों को एकजुट होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के भिंड जिले में लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली एक गंभीर और निंदनीय घटना सामने आई है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में ही पत्रकारों को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने पुलिस के खिलाफ अवैध रेत खनन और वसूली की खबरें प्रकाशित किया था यह घटना कोई साधारण नहीं है एक पुलिस अधीक्षक के सामने पत्रकार को करने का मतलब इसमें मुख्यमंत्री स्वयं इनवाल है यह न केवल प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि शासन और प्रशासन की असहिष्णु मानसिकता को भी उजागर करती है और यह प्रमाणित करती है कि मध्य प्रदेश की सरकार बालू खनन माफियाओं का गोल गिरोह बनाकर सरकार चला रही है भ्रष्टाचारियों का गोल बनाकर के शोषण एवं अत्याचार का इतिहास लिख रही है गाजा भांग शराब बिक्री का कार्य करवा रही है मध्य प्रदेश में इस तरह के कार्यों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए पूरे मध्य प्रदेश में हां हां कार मचा है एक पत्रकार का सीधी जिले में घर फूंक दिया गया, मध्य प्रदेश में पत्रकारों को नंगा करके मारा गया उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई सोची समझी योजना के तहत पत्रकारों का शोषण मध्य प्रदेश में किया जा रहा है।
तूने कहा कि ऐसी स्थिति में तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लागू करके सरकार को भंग कर देना चाहिए।
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार पत्रकारों के साथ में मारपीट करने में भिंड पुलिस अधीक्षक असित यादव, एवं एडिशनल एसपी संजीव पाठक, एवं सी एस पी दीपक तोमर एवं फूप थाना प्रभारी सत्येंद्र राजपूत, एवं ऊमरी थाना प्रभारी शिव प्रताप सिंह, एवं भारौली थाना प्रभारी गिरीश शर्मा , सिटी कोतवाली थाना प्रभारी बृजेंद्र सेंगर, देहात कोतवाली मुकेश शाक्य, एवं बरौही थाना प्रभारी अतुल भदौरिया, ए एस आई सत्यवीर सिंह साइबर सेल इन सभी अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का दुकानदारी फल फूल रहा था इसी मामले में पत्रकारों ने भ्रष्टाचार का खुलासा किया था उसके बाद पत्रकारों की चप्पलों से जमकर पिटाई की गई।
न्यूज़ 24 एमपी-सीजी के रिपोर्टर धर्मेंद्र ओझा के घर को पुलिस ने रात्रि में 12:00 बजे घेर लिया और रिपोर्टर का मोबाइल छीन कर जो अधिकारियों के खिलाफ सबूत थे वह पूरी तरह से डिलीट कर दिए दिए। सूत्रों के अनुसार, कुछ स्थानीय पत्रकारों ने हाल ही में भिण्ड पुलिस द्वारा की गई कथित लापरवाहियों और आम नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें प्रकाशित की थीं। इन खबरों में पुलिस के भ्रष्टाचार, अवैध बसूली अवैध रेत खनन और थानों में हो रही है मनमानी और आम जनता से दुर्व्यवहार की घटनाओं को उजागर किया गया था।
इन्हीं खबरों से नाराज़ पुलिस ने, पत्रकारों को बुलाकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में ही उनके साथ मारपीट की। पत्रकारों के अनुसार, उन्हें पीटते हुए पुलिसकर्मियों ने यह भी कहा कि “बहुत खबरें छापते हो, अब दिखाते हैं पत्रकारिता।” पत्रकारों ने वीडियो जारी कर अपने खिलाफ पुलिस द्वारा झूठे मामले में फंसाने अथवा हत्या करवाने का भी पुलिस पर आरोप लगाया है ।
इस मामले को भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी ने बड़ी गंभीरता से लिया है यूनियन के संस्थापक एके बिंदुसार एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए नाराजगी जताई।
कहा- “यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है। जब सत्ता में बैठे लोग और उनके अधीनस्थ पुलिस अधिकारी, पत्रकारों की आवाज़ को कुचलने का प्रयास करते हैं, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे की घंटी है। मुख्यमंत्री को तत्काल इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश देना चाहिए। अगर दोषी पुलिसकर्मी बख्शे गए, तो यह और भी खतरनाक उदाहरण बनेगा।”
पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर के जो मांग की गई है उसमें मुख्य रूप से

  1. न्यायिक जांच: पूरे मामले की निष्पक्ष, स्वतंत्र और न्यायिक जांच कराई जाए।
  2. दोषियों पर सख्त कार्रवाई: मारपीट में शामिल पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर उन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।
  3. पत्रकार सुरक्षा कानून: राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून लाया जाए जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनवृत्ति रोकी जा सके।
  4. मूलभूत अधिकारों की रक्षा: प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार संवैधानिक दायित्व निभाए।

एके बिंदुसार ने कहा कि लोकतंत्र पर संकट की आहट
यह घटना केवल एक पत्रकार पर हमला नहीं है, यह पूरी पत्रकारिता बिरादरी और लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। जब सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जाएगा, तो यह देश की मूलभूत लोकतांत्रिक संरचना को खोखला करेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि मध्य प्रदेश की प्रदेश सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है? क्या दोषियों पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह धूल फांकता रह जाएगा ?
श्री बिंदुसार ने मध्य प्रदेश के सभी पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर के मीडिया के ऊपर किए गए जोरदार प्रहार का विरोध करने का आवाहन किया।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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