क्या कांग्रेस के लिए अच्छे दौर की शुरुआत हो गई, मगर इसे कांग्रेस हाई कमान समझे तब?

कांग्रेस और हाई कमान को भ्रम है कि वह अकेले अपनी दम पर भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार को चुनाव में हरा नहीं सकती है। इसी मुगालते में कांग्रेस ने देश के राज्यों में अपनी कांग्रेस को कमजोर कर लिया और कांग्रेस विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय निर्भर होती हुई दिखाई देने लगी। परिणाम यह हुआ कि उन राज्यों में क्षेत्रीय दल कांग्रेस से कहीं अधिक मजबूत होते हुए नजर आए बल्कि, कई राज्यों में तो क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस की मदद से अपनी सरकार भी बना रखी है!

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में विधानसभा का चुनाव कांग्रेस से बगैर गठबंधन किए लड़ने का फैसला किया है। वहीं अदानी मामले में शरद पवार और ममता बनर्जी ने कांग्रेस को सहयोग करने से इनकार कर दिया है। यह तीनों खबर ऐसी हैं लग रहा है कि इंडिया गठबंधन टूट पर है, कांग्रेस और हाई कमान को इससे निराश नहीं होना चाहिए। बल्कि, अपने भ्रम को दूर करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश के भीतर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ एक माहौल बनाया था। जिसका बड़ा फायदा कांग्रेस को होता क्योंकि, देश की जनता राहुल गांधी और कांग्रेस की तरफ देखने लगी थी और भारतीय जनता पार्टी का विकल्प कांग्रेस को और मोदी का विकल्प राहुल गांधी को मान रही थी।

मगर, इस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी से लड़ने के लिए 2024 के चुनाव में एक बड़ा महागठबंधन बनाने का शिगूफा छोड़ा। कांग्रेस इस जाल में फंस गई और नीतीश कुमार सिगूफा छोड़कर बिहार चले गए और बिहार जाकर नीतीश कुमार ने कांग्रेस को अपनी सत्ता से बाहर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली। 2024 का लोकसभा चुनाव भी नीतीश कुमार की पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन कर लड़ा! कांग्रेस और पार्टी हाई कमान यह नहीं समझ पाया कि इंडिया गठबंधन कांग्रेस के लिए एक जाल है। कांग्रेस उसमें फंस गई और 2024 के लोकसभा चुनाव में अपना बड़ा नुकसान कर लिया‌ क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के कारण कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही थी।

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के तहत महंगाई, बेरोजगारी और जनता की समस्याओं को घर घर पहुंचा कर जनता के दिलों में बैठा दिया था। लोग भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने की बातें करने लगे थे। जनता राहुल गांधी और कांग्रेस की तरफ देख रही थी मगर, नीतीश कुमार ने महागठबंधन का बड़ा जाल फेंका जिसमें कांग्रेस उलझ गई और अपना बड़ा नुकसान कर लिया! 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की बदौलत महागठबंधन दलों को क्षेत्रीय दलों की राजनीतिक हैसियत से कहीं अधिक ही फायदा हुआ। मगर, कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ!

कांग्रेस और पार्टी हाई कमान को अभी भी वक्त है समझने का यदि, कांग्रेस ने अदानी के मुद्दे को छोड़ दिया तो कांग्रेस के पास केंद्र की भाजपा और मोदी सरकार से मजबूती के साथ लड़ने के लिए कोई बड़ा मुद्दा बचेगा नहीं? अदानी के मुद्दे को राहुल गांधी घर घर में पहुंच चुके हैं और राहुल गांधी की बाद महंगाई से जूझ रही जनता और बेरोजगार युवकों के समझ में भी आ रही है। यदि राहुल गांधी की बात समझ में नहीं आ रही है तो वह कांग्रेस के नेता हैं जिनको मलाई खाने की आदत पड़ी हुई है। राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन को मजबूत करने की जगह कांग्रेस के संगठन को मजबूत करना होगा। खासकर युवक कांग्रेस और सेवा दल को अधिक मजबूत करना होगा!

सेवा दल की कमान युवक कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवासन को दे देनी चाहिए। क्योंकि, श्रीनिवासन समाजसेवी और मजबूत जुझारू नेता हैं। जिन्होंने अपने कार्यकाल में युवक कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी सरकार की नीतियों के खिलाफ मजबूती के साथ लड़ने के लिए खड़ा किया! बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार कांग्रेस की कमान पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव के हाथों में दे देनी चाहिए। पप्पू यादव लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था। बिहार में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और यदि कांग्रेस को बिहार में अपने दम पर कुछ हासिल करना है तो बिहार की कमान पप्पू यादव के हाथ में दे देनी चाहिए! कांग्रेस के नेता इस भ्रम में नहीं रहे की इंडिया गठबंधन मजबूत है और टिकाऊ है?

सवाल वही है, क्या कांग्रेस के अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई है मगर, इसे कांग्रेस के नेताओं को समझना होगा?

देवेंद्र यादव वरिष्ठ पत्रकार/राजनीतिक विश्लेषक कोटा, राजस्थान

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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