राष्ट्रीय मध्याहन भोजन रासोइया फ्रन्ट के तत्वाधान में आज उ.प्र.की योगी सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों की संख्या में धरना प्रदर्शन किया

शीघ्र ही सरकार रसोइयों की समस्याओं का समाधान नही करती है तो पुरे प्रदेश में रसोइया भोजन बनाना बन्द कर आंदोलन के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर होगीः राष्ट्रीय संयोजक रमेश चंद्रा
-राष्ट्रीय मध्याहन भोजन रासोइया फ्रन्ट के तत्वाधान में आज उ.प्र.की योगी सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों की संख्या में धरना प्रदर्शन किया
वर्तमान में रसोइयों की हालत बंधुआ मजदूरों से भी बदतर है और उनकी ये हालत किसी और ने नहीं बल्कि चुनी हुई लोकतान्त्रिक सरकारों ने किया हैः संस्थापक चमेली सिंह
लखनऊ। (सीनीयर फोटो-जर्नलिस्ट राहुल कुमार नवरत्न ब्रजवासी द्वारा जारी 9258690097) आज दिनांक 23 सितम्बर 2023 को राष्ट्रीय मध्याहन भोजन रासोइया फ्रन्ट के तत्वाधान में राष्ट्रीय संस्थापक श्रीमाता चमेली सिंह जी के नेतृत्व में मध्यान्ह भोजन योजना के अन्तर्गत कार्यरत रसोइया कार्यकर्ती की रैली लखनऊ चारबाग से शुरू होकर इको गार्डन परिसर में जाकर धरना प्रदर्शन सभा के रूप में तब्दील हो गयी। इस धरने में रसोइया फ्रन्ट के कार्यकारिणी अध्यक्ष श्री रणधीर सिंह ने कहा कि 2000रू प्रतिमाह पर काम करवाकर प्रदेश सरकार व केन्द्र की सरकार स्वतंत्र भारत में नयी सामन्ती प्रथा को प्रश्रय देने का कार्य कर रही है इसे किसी भी हाल में सरकार द्वारा रसोइया कार्यकर्ती की स्थाई नियुक्ति व वेतन वृद्धि के माध्यम से सुधारना होगा। धरना प्रदर्शन में राष्ट्रीय संयोजक रमेश चंद्रा ने कहा कि शीघ्र ही सरकार रसोइयों की समस्याओं का समाधान नही करती है तो पुरे प्रदेश में रसोइया भोजन बनाना बन्द करके आंदोलन के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर होंगी। संस्थापक चमेली सिंह ने कहा कि वर्तमान में रसोइयों की हालत बंधुआ मजदूरों से भी बदतर है और उनकी ये हालत किसी और ने नहीं बल्कि चुनी हुई लोकतान्त्रिक सरकारों ने किया है। प्रदेश अध्यक्ष संतोष मिश्रा ने कहा कि यह राष्ट्रीय शर्म की बात है कि सरकार बंधुआ मजदूरी को बढ़ावा देने में स्वयं शामिल है। प्रदेश सचिव राजेन्द्र शर्मा ने कहा की रसोइयों को गरीब होने की वजह से उनके सुनने वाली न राज्य सरकार न केंद्र सरकार है। समाज सेवी रेखा जी ने रसोइयों की मानगो को लेकर आवाज बुलंद की समाज सेवी निलेश जी ने रसोइयों की स्थति को बंधुआ मजदूरो से भी बत्तर बताया। धरने में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए रसोइयां प्रतिनिधियों ने भी अपनी बात प्रमुखता से रखी प्रमुख वक्ताओं में आशा देवी, शम्भूनाथ राय, डा०राकेश, राजेंद्र प्रधान जी सेवा लाल, संजय सिंह आदि थे।
इस अवसर पर सभी रसोईयों ने शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा जिसमें संगठन के सभी कार्यकर्ताओं ने एक सुर में यह बात कहीं मध्यान्ह भोजन योजना के अन्तर्गत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्य कर रहे रसोइयों को काम की सुरक्षा व साक पारिश्रमिक भुगतान करने तथा अन्य ज्वलन्त समस्याओं के निराकरण करने के संबंध में।
सादर अवगत कराना है कि एमडीएम योजना के अन्तर्गत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत यों की स्थिति वर्तमान समय में बन्धुआ मजदूर से भी बदतर है क्योंकि न तो इन्हें काम की सुरक्षा है और ना ही जीने लायक पारिश्रमिक दिया जाता है। ऽ अथवा ना ही इन्हें लिखित रूप से अनुबंधित किया जाता है। इन्ह विद्यालयों में मनमाने ढंग से रखा जाता है और उसी तरह मान से बिना कारण बताए हटा दिया जाता है। रसोइयों का कार्य स्थाई रूप से जिम्मेवारीपूर्वक 1995 से अभी तक लगभग 25 वर्षों से सेवा करने के पश्चात भी इनके काम की अनिक्षितता बनी हुई है। इन्हें बार-बार बदलना विधिक परम्परा व मानवाधिकार के खिलाफ है। कार्यरत रसोइयों में से ज्यादातर महिलाए दलित हैं। जो अत्यन्त गरीब हैं। जब तक इनको कानूनी संरक्षण नहीं दिया जायेगा तब तक इनका शोषण बन्द नहीं किया जा सकता। हमें आशा है कि आप निम्र मांगों पर गम्भीरता पूर्वक विचार कर समस्याओं का समाधान करने की पा करेंगे।
हमारी मुख्य मांगें यह हैं कि 1. विद्यालयों में रसोइयों के पाल्य की अनिवार्यता एवं हर साल चयन प्रक्रिया समाप्त की जाए।

  1. रसोइयों का चयन जिला बेसिक शिक्षा पदाधिकारी एवं जिलाधिकारी के अधीनस्त किया जाए। 3. रसोइयों का मानदेय बढ़ती हुई महंगाई एवं फूल टाईम कार्य को देखते हुए इन वेतन दस हजार (10,000 किया जाए।
  2. मानदेय का भुगतान इनके निजी खातों में हर महीने के पहले सप्ताह में ट्रांसफर किया जाए
  3. कार्यरत रसोइयों का 5,00000ध्- ( पांच लाख) का जीवन बीमा सरकार द्वारा कराया जाए।
  4. कार्यरत रसोइयों का स्थाईकरण करते हुए पूरे वर्ष ( 12 माह का मानदेय लागू किया जाए। 7. रसोइयों को शासन के द्वारा प्रशिक्षित कर प्रशिक्षण प्रमाण पत्र एवं रसोइयों का परिचय पत्र जाब कार्ड एवं इस कोड के साथ साल में दो सूती ड्रेस उपलब्ध कराया जाए । 8. विद्यालय में रसोई बनाने में गैस चुल्हा एवं आधुनिक उपकरण एवं वर्तन उपलब्ध कराया जाए । 9. रसोइया को बिना किसि ठोस कारण के निकाला न जाए । 10. रसोइयों के विद्यालय में रसोइयों से सफाईकर्मी, चपरासी व रसोई कार्य करवाया जाता है। इस दबाव के चलते हुए अधिक बच्चों पर एक रसोइयों का कार्य करना सम्भव नहीं है। अतः हमारी मांग है कि एम०डी०एम० योजना को सुव्यवस्थित संचालन करने के लिए प्रति 25 बच्चों के नामांकन पर एक रसोइयां नियुक्त किया जाए ।
    भवदीय रणधीर सिंह 9718196015

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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