इस निर्णय से कहीं न कहीं भ्रष्टाचार कम होगा,जहां-जहां छापे पड़े हैं, वहां से दो हजार रुपये के नोट खूब जब्त किए गए, रिपोर्ट योगेश मुदगल

दो हजार रुपये के नोट के चलन पर रोक लगाने संबंधी रिजर्व बैंक के फैसले को कुछ लोग नोटबंदी बता रहे हैं, जबकि यह नोटबंदी नहीं, नोट बदली है। नोटबंदी बोलकर भ्रम फैलाने की जो कोशिश हो रही है, उससे आम लोगों को भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। असल में, 2016 में बाजार में ज्यादा नोट नहीं थे। चूंकि लोगों को जरूरत थी, इसलिए दो हजार रुपये के नोट जारी किए गए। पिछले सात साल में नोटों की कमी दूर कर ली गई है। यानी, रिजर्व बैंक के नजरिये से देखें, तो दो हजार रुपये के नोट का उद्देश्य पूरा हो गया, इसीलिए इसके चलन पर रोक लगा दी गई है। जिन लोगों के पास ये नोट हैं, वे सामान्य ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। बिना समस्या के इसे बैंक में जमा कर सकते हैं। इस निर्णय से कहीं न कहीं भ्रष्टाचार कम होगा। इन दिनों ईडी व सीबीआई के छापे जहां-जहां पड़े हैं, वहां से दो हजार रुपये के नोट खूब जब्त किए जा रहे थे। इस फैसले से न बाजार पर कोई प्रभाव पड़ेगा, न आम लोगों की सेहत पर। फिर, 200 व 500 रुपये के नोट पहले से ही सर्कुलेशन में हैं। दो हजार रुपये के नोट का जीवन-काल पूरा हो गया है। 30 सितंबर तक समय है। इसके अलावा, अर्थव्यवस्था पर भी इसका ज्यादा असर नहीं होगा। अलबत्ता, इसका फायदा यह होगा कि देश व राज्यों में जीडीपी बढ़ेगी, और जो व्यक्ति इस नोट को दबाकर बैठा है, वह अब इसे बाहर निकालने और बैंकों में जमा करने पर मजबूर होगा।
राधादेव शर्मा, स्वतंत्र टिप्पणीकार
अनिवार्य था यह कदम
भारतीय रिजर्व बैंक के नए आदेश के अनुसार अब 2,000 रुपये के नोट चलन से बाहर किए जा रहे हैं। पिछले दिनों से साफ-साफ महसूस किया जा रहा था कि ये नोट बाजार से गायब हो रहे हैं, यहां तक कि बैंकों से मिलना भी मुश्किल था। जाहिर है, यह काला धन के रूप में कहीं दबाया जा रहा था, जिसको अनुपयोगी बनाने के लिए ही भारतीय रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है। यह एक उचित फैसला है और काला धन पर इससे प्रभावी रोक लग सकेगी। नवंबर 2016 में जब 1,000 व 500 रुपये के पुराने नोट चलन से बाहर किए गए थे, तब नोटों की कमी न पड़े, इसलिए 2,000 रुपये के नोट जारी किए गए थे, मगर तब भी यह आशंका जाहिर की गई थी कि बड़े नोटों से काला बाजारियों को मदद मिलेगी। आने वाले वर्षों में यह आशंका कमोबेश सच ही साबित हुई। ऐसे में, केंद्रीय बैंक द्वारा अब जो फैसला लिया गया है, वह निश्चित रूप से समझदारी वाला माना जाएगा।