गर्भावस्था में पोषण शिशु के स्वास्थ्य के लिए जरूरी

जीवन के शुरुआती हजार दिन का पोषण बेहद जरूरी

गर्भावस्था में पोषण शिशु के स्वास्थ्य के लिए जरूरी

एटा,

जीवन के शुरुआती हजार दिन नवजात के जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान यदि बच्चे को उचित पोषण नहीं मिले तो बच्चे के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर भारी नुकसान हो सकता है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार सिंह बताते हैं कि एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम पोषण पाठशाला, गोद भराई दिवस, अन्नप्राशन दिवस आदि का उद्देश्य लोगों को शुरुआती हजार दिन के पोषण के प्रति जागरूक करना है।

ब्लॉक मारहरा निवासी लाभार्थी प्रीति बताती हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नेउन्हें उनकी बच्ची अनाया को छः माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का दूध पिलाने के प्रति जागरूक किया जिसे मैंने पूरी तरह अपनाया साथ ही अन्नप्राशन दिवस (14 मार्च) के दौरान छः माह की मेरी बिटिया को खीर खिलाकर ऊपरी आहार देने की शुरुआत की। इस दौरान उन्हें अपनी बच्ची को क्या-क्या व कितनी मात्रा में खिलाएं इस विषय में जानकारी मिली। साथ ही उन्हें अर्ध ठोस आहार(खिचड़ी ,दलिया) प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम आदि से युक्त भोजन के विषय में भी पता चला।

चार माह की गर्भवती लाभार्थी अजंती बताती हैं कि उनके क्षेत्र अमीरपुर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरोजिनी ने उन्हें गर्भावस्था के दौरान बेहतर पोषण की आवश्यकता के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि गोद भराई कार्यक्रम के दौरान उन्हें बताया गया कि शिशु के स्वास्थ्य के लिए उसके शुरुआती दिनों का पोषण बेहद आवश्यक है।शिशु का पोषण गर्भावस्था से शुरू हो जाता है। यदि शिशु पोषित होगा तो भविष्य में बीमारियों के खतरे से दूर रहेगा।अलग-अलग रंगों वाली अलग-अलग प्रकार की सब्जियां एवं विभिन्न प्रकार के फल, विटामिन व खनिज तत्व मुहैया कराते हैं जिनका उन्हें प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें आयरन, कैल्शियम के सेवन के विषय में बताया गया जिससे उनका शिशु स्वस्थ व पोषित होगा।

नोडल अधिकारी आरसीएच / एसीएमओ डॉ सुधीर कुमार मोहन शिशु के जीवन के प्रारंभिक हज़ार दिन यानी गर्भावस्था के 270 दिन और जन्म के बाद के 730 दिन नवजात के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। बच्चे के जन्म के समय औसतन वजन करीब 2.5 किलो होता है। शुरुआती पहले साल में बच्चे का वजन हर महीने करीब 500 ग्राम और ऊंचाई हर महीने 2 सेमी बढ़ती है, जबकि दूसरे साल में वजन में लगभग 250 ग्राम की और ऊंचाई में 1 सेमी की बढ़ोतरी होती है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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