ग्लोबल हैंड वाशिंग डे (15 अक्टूबर) पर विशेष

ग्लोबल हैंड वाशिंग डे (15 अक्टूबर) पर विशेष

भूल मत जाइए कोरोना काल में सीखा, हाथ धोने का सबक 

जिले में मनाया जाएगा ग्लोबल हैंडवाशिंग डे
हाथ धोना है जरूरी, बीमारियों से रहेगी दूरी

एटा,

बड़े बुजुर्ग हमेशा हाथ धोने की सीख देते हैं। लेकिन कम लोग ही इस पर ध्यान देते हैं। दो साल पहले कोविड बढ़ने पर लोगों को पता चला था कि हाथ धोना कितना महत्त्वपूर्ण है। लेकिन शरीर को निरोगी रखने के लिए हाथों की सही तरीके से सफाई में ही सभी की भलाई है। हाथों में न जाने कितनी अनदेखी गंदगी छिपी होती हैं, जो किसी भी वस्तु को छूने, उसका उपयोग करने और कई तरह के रोज़मर्रा के कामों के कारण होती हैं। हाथ धोने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रति वर्ष 15 अक्टूबर को हैंड वॉशिंग डे मनाया जाता है। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) संजय कुमार सिंह ने दी।

डीपीओ ने बताया कि इस वर्ष हैंडवाशिंग दिवस की थीम ‘यूनाइट फॉर यूनिवर्सल हैंड हाइजीन’ यानि ‘सार्वभौमिक हाथ स्वच्छता के लिए एकजुट’ रखी गई है। उन्होंने बताया कि जिले में सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर हैंडवाशिंग दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान बच्चों को हाथ धोने के सही तरीके के विषय में समझाया जाएगा।

बाल चिकित्सक डॉ. अंशुल गुप्ता बताते हैं कि हाथ की स्वच्छता हमारे स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का ही एक हिस्सा है। क्योंकि सिर्फ साबुन से अच्छी तरह हाथ धुल लेने से ही कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है, रोगाणु कई माध्यमों के जरिये से हमारे शरीर में फैलते हैं। उनमें से एक हमारे हाथ भी बीमारी का एक बड़ा जरिया हैं जिसकी वजह से सबसे ज्यादा बच्चों में संक्रमण व गंभीर बीमारियों जैसे डायरिया, वायरल संक्रमण आदि का खतरा बना रहता है। कोरोना संक्रमण के बाद काफी हद तक हाथ की स्वच्छता बनाये रखना हमारे व्यवहार में आया है। जिसे अपनाये रखना बेहद जरूरी है।

हाथों को धोना कब जरूरी:

खाना खाने से पहले, शौच के बाद, शिशु को छूने से पहले, खांसने या नाक साफ करने के बाद, जानवर या कचरे को छूने के बाद, घावों के उपचार से पहले और बाद में, बीमार या घायल व्यक्ति को छूने से पहले और बाद में, किसी सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर करने के बाद या फिर जब लगे कि हाथ गंदे है तब अपने हाथों को जरूर धुलें।

हाथ धोने का सही तरीका:

​हाथ धोने का सही तरीका जानने या समझने के लिए ‘सुमन-के’ फार्मूला का ध्यान रखना सभी के लिए बहुत जरूरी है। इसके हर अक्षर में हाथ धोने के गूढ़ रहस्य छिपे हैं जो कि हाथों को वायरस या बैक्टीरिया से मुक्त करने में पूरी तरह कारगर हैं। इसके मुताबिक़ ‘स’ का मतलब है कि पहले सीधा हाथ धुलें, ‘उ’ का मतलब है कि उल्टी तरफ से हाथ धुलें, ‘म’ का मतलब है कि मुठ्ठियों को अन्दर से धुलें, फिर ‘अ’ का मतलब है कि अंगूठों को धुलें, ‘न’ बताता है कि नाखूनों को रगड़-रगड़ कर अच्छे से धुलें क्योंकि नाखूनों में आसानी से मैल जमा हो सकती है और आखिर में ‘के’ का मतलब है, कि उँगलियों के बाद कलाई को भी धुलना बहुत जरूरी है। इस तरह से बार-बार कम से कम 40 सेकेण्ड तक सभी को हाथ धुलना चाहिए ताकि बीमारियाँ शरीर को अपना घर न बना सकें।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× अब ई पेपर यहाँ भी उपलब्ध है
अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks