
कासगंज।रेल विभाग कर रहा जनहित की उपेक्षा: लोगों में बढ़ रहा आक्रोश : कभी भी फूट सकता है जनता में लावा।
पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जत नगर मंडल काअति महत्व पूर्ण रेलवे स्टेशन कासगंज जं पर मण्डल के संबंधित अधिकारियों के तुगलकी फरमान और लगातार जनहित की उपेक्षा से इस कदर त्रस्त है कि लोगों का ग़ुस्सा बढ़ता ही जा रहा है।
सबसे पहले बात करते हैं गेट नं. २५० सी अहरौली रेलवे गेट की जहां इन अदूरदर्शी अधिकारियों ने पैदल पथ ( पैडैस्टीयन वे) को सीमेंट कांक्रीट के रेल स्लीपर लगा कर जन अधिकारों का हनन कर डाला इस गेट के दोनों ओर ये अधिकारी समुचित लाइट व्यवस्था तक उपलब्ध नहीं करा पा रहे गेट बन्द होने पर गन्दगी के साम्राज्य का आम जन सामना करते हैं और जहरीले मच्छरों से अपना खून चुसवाते है धूप में आधे से एक घंटा तक स्कूल जाने वाले बच्चे तपते रहते हैं , मंडी में अनाथ पहुंचाने वाले किसान, व्यापारी, आफिस पहुंचने वाले खड़े होकर सूखते रहते हैं ,क ई बीमारों ने एक एक घंटे तक गेट खुलने के इन्तजार में दम तोड दिया। नाम न छापने की शर्त पर रेलवे कालोनी में रह रहे रेल कर्मचारियों का कहना है कि जंगली झाड़ियों में डैगू के जहरीले मच्छरों का प्रकोप बना रहता है यहां कभी फोगिंग होते या कीटनाशक दवा का छिड़काव होते किसी ने नहीं देखा ,हद तो तब हो गई जब रेलवे के सी.डी एम ओ से इस प्रेस प्रतिनिधि ने संचारी रोगों के रेल परिसर में प्रतिरोध के लिए संपर्क करने पर उन्होंने नकारात्मक उत्तर दे दिया , बताया जाता है इधर अन्डरपास मंजूर हो चुका है लेकिन छह माह बाद भी एक गड्ढा तक नहीं खोदा जा सका।
सहावर रेलवे गेट पर और बुरा हाल है यहां गेट खुलने का इंतजार करने वालों के धेर्य का बांध भी अब टूटने लगा है, और यहां गेट बन्द होने पर लगी भीड़ और रोके गए पैदल पथ इन संबंधित रेल अधिकारियों को कोसते नजर आते हैं। यहां का आलम यह है कि क ई बार गेट बन्द होने पर लगी भीड़ गेट खुलने पर इतने निकल भी नहीं पाती है कि गेट बन्द होने लगता है इन दोनों गेटों से लगभग एक लाख लोग रोज आते जाते हैं लेकिन क ई सालों बाद भी रेल विभाग के संबंधित इनकी परेशानियों को समझ पाने में असमर्थ दीखते हैं,लोग तरह के आरोप इन पर लगा रहे हैं न तो अन्डर पास की व्यवस्था रेल विभाग कर पा रहा है न ही फुट ओवर ब्रिज की। लोगों का कहना है कि एक ओर रेल विभाग कासगंज सोरों और कासगंज बढारी सहित कासगंज बरेली, कासगंज कानपुर सैक्शन पर गैर महत्व के और बहुत ही कम ट्रेफिक के लिए एक एक अन्डरपास बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च करता है दूसरी ओर व्यापक जरुरी इन गेटों के बारे में सोचता भी नहीं। व्यापार मंडल के सदस्य एवं रेलवे परामर्श दात्री समीति के सदस्य महाप्रबंधक तक इन गहन समस्याओं को उठा चुके हैं लेकिन लगातार संबंधित अधिकारियों द्वारा जनहित की उपेक्षा की जा रही है , फाटक से राहत एक सोशल मीडिया ग्रुप से जुड़े लोगों ने इस संवाददाता को बताया कि संबंधित रेल अधिकारी चुपचाप आकर चले जाते हैं कभी आहत लोगों की परेशानियों के लिए संवाद तक नहीं करते। आकस्मिक जरुरतों के लिए पैदल पथ बन्द होने पर लोग जब गेट के नीचे से निकलने का प्रयास करते हैं तो आर पी एफ उन पर क ई तरह के झूठे केस लाद देती है, अहरौली के घनश्याम, मदनलाल , पूर्व प्रधान शिवदयाल , नगला सैयद के बौबी, बाबू , अंशु भैसोरा बुजुर्ग के महेश सिंह , भट्टा नगला के मुन्ना लाल, हरी सिंह , केशव प्रसाद,आर्य नगर के राजेंद्र, लक्ष्मी कांत अवन्तीबाई कुंज के अरुण कुमार, बुद्धि जीवी विचार परिषद के बच्चूसिंह , श्याम वीर यादव ,पबसरा के धर्मेन्द्र, सुनील , राजकुमार सहित इन गेटों से निकलने वाले लोगों ने भारी रोष व्यक्त किया है।
इन लोगों की व्यथा को समझते हुए आखिर संवेदनशील जिलाधिकारी हर्षिता माथुर इस गेट पर पहुंची और वस्तु स्थिति को जाना । इससे पूर्व नदर ई में रेल ब्रिज के नीचे से भरे हुए पानी की स्थिति को देखते हुए पुलिस अधीक्षक दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से स्वयं बारिश में खडे होकर जल भराव को निकलवा चुके हैं लेकिन रेलवे के संबंधित अधिकारी इन समस्याओं से अंजान बने हुए हैं।