
,डॉक्टर तो धरती के दूसरे भगवान का नाम है फिर एटा में डॉ कुलदीप के नाम पर यह कौन है—
एटा में हॉस्पिटल का हाल कुछ इस तरह का चल रहा है,कि मरीजों को दवा के नाम पर बाहर का पर्चा थमा दिया जाता है अगर पूंछा जाएं कि हॉस्पिटल में दवाएं नहीं है तो डॉक्टर बोलते हैं कि नहीं गरीबों का खुलकर शोषण हो रहा है ऊपर से डॉक्टरों की बदजुबानी का आलम बताते हैं 15 साल की डेंगू की मरीज के साथ आज की आप बीती अस्वस्थ मरीज को नाकि असमय डिस्चार्ज किया गया बल्कि उस गरीब परिवार और किशोरी का इलाज से ज्यादा अपमान किया गया 31000 प्लेटों के साथ लड़की को बमुश्किल तो ऐडमिट कराया गया काफी दिक्कतों के साथ न कोई सीरियल मरीज को ऊपर ले जाने की सुविधा है ऊपर से डेढ़ घंटे तक मरीज को इधर से उधर घुमाया गया जबकि काफी सीरियस हालत में पेसेंट बाहर बैठी रही कुछ भी हो सकता था इनकी लापरवाही के चलते अगर उस गरीब की हैल्प नहीं करते तो उसे ऐडमिट कराना भी मुस्किल था उसके बाद गोदाम से खाली पानी की बोतलें चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ आश्चर्यजनक है कि क्या सरकारी सुविधाएं यही है या फिर ये मोटी गड्डी बाले गरीबों का खुलकर खून चूस रहे है डॉक्टर तो भगवान का दूसरा नाम है फिर यह एटा में डॉ कुलदीप नाम का कौन है तीन दिन मे 49हजार प्लेट और लीवर पर इंफेक्शन के साथ लड़की को अपमान के साथ डिस्चार्ज कर दिया गया मरीज के भाई ने जब कहा 1 दिन सर और एडमिट रहने दीजिएगा तो डॉक्टर कुलदीप की भाषा इस तरह की थी इसको डिस्चार्ज नहीं तो क्या तिजोरी में रखवा दें 15 साल की लड़की के साथ इस तरह की अभद्र भाषा असहनीय ही नहीं बहुत बहुत — है इस भाषा में एक गांव के गरीब का नाकि अपमान और अधिकारों के —बहुत बड़ा शोषण था यह मोटी गड्डी वाले धरती के भगवान राक्षस बन रहे हैं,और सरकारी सुविधाओं की शुर्खियां गरीबों के नाम पर अखबारों में आखिर कब तक।
लेखिका, पत्रकार, दीप्ति चौहान।