12 साल की उम्र में मां बनी गैंगरेप की शिकार बच्‍ची, अस्‍पताल में गूंज रही दोनों मासूमों की रुलाई

12 साल की उम्र में मां बनी गैंगरेप की शिकार बच्‍ची, अस्‍पताल में गूंज रही दोनों मासूमों की रुलाई

आमतौर पर नवजात रोए तो मां खुशी से मुस्कुराती है लेकिन हैलट के जच्चा-बच्चा अस्पताल के एचडीयू वार्ड में एक मां बच्चे से ज्यादा रो रही है। दरअसल यह मां खुद ही अभी बच्ची है। उम्र महज 12 साल। गैंगरेप की शिकार इस बच्ची की आंसुओं से तरल निगाहें अपनी मां की ओर उठती हैं तो उनमें सवाल तैरता है- इस नन्ही सी जान को मैं कैसे संभालूंगी अम्मा।

उन्नाव के मौरावां थाना क्षेत्र के एक गांव की यह कहानी रुला देने वाली है। इस महादलित बच्ची के साथ गांव के तीन लोगों ने दरिंदगी की। 13 फरवरी को पुलिस तक मामला पहुंचा तो रिपोर्ट दर्ज हुई। तीनों को जेल भेज दिया गया। चार्जशीट लग गई। मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल पर आ गया। लेकिन इस बच्ची की जिंदगी में का तूफान कैसे शांत होता? गांव में कोई ताने मरता रहा तो कोई परिवार से कतराने लगा।
किसी तरह आठ महीने कटे और बच्ची को प्रसव पीड़ा होने लगी। उसकी मां महिला सिपाही के साथ महिला जिला अस्पताल पहुंची। उसे भर्ती कराया जहां उसने बेटे को जन्म दिया है। उसकी हालत बिगड़ी तो उसे हैलट में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि अब जच्चा-बच्चा खतरे से बाहर हैं। बच्ची एनीमिक नहीं है लेकिन उम्र को देखते हुए बहुत केयर की जरूरत है।
मेडिकल साइंस बच्ची के शरीर के खतरे तो भांप रही है पर उसके मन पर क्या बीत रही होगी? मां बची इस बच्ची की मां के सिवा कौन इस दुख को समझेगा? तभी तो बच्ची जब भी सवालिया आंखों से मां को निहारती है, मां पल्लू से आंखें पोंछकर उसका सिर सहला देती है। पिता बाहर रह कर डबडबाई आंखों से महानगर की चमक-दमक के बीच बेटी के भविष्य का अंधेरा सोच कर घबरा रहा है। सवा फिर भी बरकरार है। अब इस जवाब का अम्मा क्या जवा दे?

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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