मोटर दुर्घटना दावों में संभावना की प्रबलता लागू होगी, न कि आपराधिक मामलों की तरह सबूत के कठोर सिद्धांत की : जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

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मोटर दुर्घटना दावों में संभावना की प्रबलता लागू होगी, न कि आपराधिक मामलों की तरह सबूत के कठोर सिद्धांत की : जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

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⬛ जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि मोटर वीहिकल एक्ट के तहत मोटर दुर्घटना मामलों में मुआवजे के दावों के लिए आवश्यक मानक संभाव्यता की प्रबलता है, बजाय कि आपराधिक मामले में लागू सबूत के कठोर सिद्धांत।

⏩ जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की पीठ मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, पुलवामा की ओर से एक दावा याचिका पर दिए फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। फैसले के तहत ट्रिब्यूनल ने अपीलकर्ताओं को 6% ब्याज के साथ 4,91,000 की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया था।

???? अपीलकर्ताओं ने यह कहते हुए अवॉर्ड को चुनौती दी कि अवॉर्ड एक तरफा जारी किया गया था, अपीलकर्ताओं को कोई समन या नोटिस भी नहीं दिया गया था। अपीलकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि प्रतिवादियों/दावेदारों की आरोपित कहानी पूरी तरह झूठी है और यह कि ट्रिब्यूनल के समक्ष दावेदार ने ट्रैक्टर की तेज, लापरवाही भरी ड्राइविंग संबंध‌ित कोई सबूत पेश नहीं किया। उन्होंने कहा कि कोई सकारात्मक और स्वीकार्य सबूत पेश नहीं किया गया और इस तथ्य के संबंध में कि मृतक ट्रैक्टर पर बैठा था, कोई मुद्दा उठाया या सुलझाया नहीं गया।

???? फैसले के खिलाफ अपीलकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि गवाहों द्वारा दिए गए असंगत और विरोधाभासी बयान थे और एक अन्वेषक अधिकारी के रूप में गवाह का आचरण यह भी दर्शाता है कि फाइल पर कोई सकारात्मक और ठोस सबूत नहीं है। मामले पर फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि हालांकि अपीलकर्ताओं को विधिवत तामील किया गया था, फिर भी उन्होंने ट्रिब्यूनल के समक्ष उपस्थित होकर दावा याचिका को चुनौती देने का विकल्प नहीं चुना और परिणामस्वरूप, ट्रिब्यूनल ने अपीलकर्ता के खिलाफ एक पक्षीय कार्यवाही शुरू की और इसलिए ट्रिब्यूनल के अपीलकर्ताओं का एकपक्षीय कार्यवाही करने का तर्क पूरी तरह से निराधार और गलत है।

????इस विषय पर विचार करते हुए पीठ ने यह भी देखा “यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि मौजूदा मामले जैसी स्थिति में ट्रिब्यूनल ने मामले का समग्र दृष्टिकोण लिया है और यह ध्यान में रखा जाए कि किसी विशेष वाहन द्वारा किसी विशेष तरीके से हुई दुर्घटना का कठोर सबूत दावेदारों द्वारा पेश किया जाना संभव नहीं हो सकता। दावेदारों को केवल संभावना की प्रबलता की कसौटी पर अपना मामला स्थापित करना होता है, और उचित संदेह से परे सबूत के मानक को मोटर वाहन दुर्घटना में मुआवजे के भुगतान से संबंधित मामले में लागू नहीं किया जा सकता।

❇️ कानून की उक्त स्थिति पर बल देते हुए बेंच ने अनीता शर्मा और अन्य बनाम द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य (2021) में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को रिकॉर्ड करना भी आवश्यक पाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दावा मामलों में सबूत को संभाव्यता की प्रबलता पर कसा जाना चाहिए। उपरोक्त चर्चा के मद्दनजर मौजूदा अपील को खारिज कर दिया गया।

केस टाइटल: शौकत अहमद भट और अन्य बनाम खज़ीर मोहम्मद भट और अन्य
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (जेकेएल) 112

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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