*अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले अब्दुल करीम को भुला दिया, रिपोर्ट योगेश मुदगल

जैथरा (एटा)। कस्बा के मोहल्ला शास्त्री नगर में जन्मे अब्दुल करीम ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। धुमरी में अंग्रेजों की आरामगाह डाक बगलिया में आग लगा दी। टेलीफोन के तार काटकर दूरसंचार सेवा ध्वस्त कर दी। 1941 से 1945 तक तीन बार उन्हें जेल भेजा गया। आज उनके परिवार को अपने ही लोग पूरी तरह भूल चुके हैं। परिजन को दर्द है कि मदद तो दूर, सरकारी कार्यक्रमों में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता है।
वर्ष 1891 में जन्मे मौलाना अब्दुल करीम आजाद ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत का खुलेआम विरोध किया। जिसके कारण उनको कई बार भिन्न-भिन्न जिलों की जेलों में निरुद्ध रहना पड़ा। कई बार अंग्रेजों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के जुर्म में अंग्रेजों का उत्पीड़न झेलना पड़ा। 1941 धुमरी स्थित डाक बगलिया में अब्दुल करीम ने अपने साथियों के साथ मिलकर आग लगा दी।
इससे अंग्रेजी हुकूमत का काफी नुकसान हुआ और इसी दौरान अंग्रेजों ने फरमान जारी करते हुए समर्पण करने की धमकी दे डाली। कहा कि हाजिर न होने पर गोली मार दी जाएगी। परिजन का उत्पीड़न शुरू कर दिया। परिवार की रक्षा के लिए अब्दुल करीम ने समर्पण कर दिया। जिसमें उनको कारावास की सजा दी गई। करीब 110 वर्ष की आयु में 18 दिसंबर 1991 को उनका देहांत हो गया।
इन सभी परिस्थितियों और आजादी की खातिर बार-बार अपनी जान जोेखिम में डालने बाले अब्दुल करीम के परिजन सरकार की उपेक्षा का शिकार हैं। परिवार की सरकार से अपेक्षा है कि उन्हें नौकरी अथवा रोजगार का साधन दिया जाए। अब्दुल करीम के इकलौते पुत्र मौहम्मद शमी का निधन हो चुका है। दो पौत्र जावेद और आबिद हैं।
जावेद के दो पुत्र राहिल एवं रिहान जनसेवा केंद्र संचालित कर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। आबिद कहते हैं कि आजादी से जुड़े किसी भी सरकारी कार्यक्रम में हम लोगों को नहीं पूछा जाता है। जावेद बताते हैं कि जैथरा में पहली बार नगर पंचायत गठन होने पर हमें हाउस टैक्स, वाटर टैक्स से छूट दी गई लेकिन पांच साल बाद टैक्स वसूला जाने लगा।
कई साल रहे रामलीला कमेटी के अध्यक्ष
अब्दुल करीम आजाद ने देश की आजादी की जंग लड़ने के अलावा सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन दिनों जैथरा गांव था। उन्होंने सबसे पहले यहां रामलीला का शुभारंभ कराया। कई साल तक रामलीला कमेटी के अध्यक्ष रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भेंट किया था ताम्रपत्र
वर्ष 1972 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आजादी के 25वें वर्ष के उपलक्ष्य में अब्दुल करीम आजाद को दिल्ली में ताम्रपत्र भेंट किया था।