रिपोर्ट तकी रज़ा बरेली
फिजा में गूंज रहा है नामे हुसैन का नारा मोहर्रम की 7 तारीख इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम की शहादत से मनसुब है जिसकी याद मुस्लिम फिरके के लोग अपने तरीके से मनाते हैं जिसकी एक झलक देखने को बाकरगंज कर्बला इमामबाड़े मैं देखने को मिली लोग नजरों नियाज एहतमाम करते हैं और लोग अपने बच्चों को हरे कपड़े पहनाकर इमाम हुसैन की याद में अलम और ताजिए निकालते हैं इस संबंध में प्रबंधक खलील मियां इमामबाड़ा बाकरगंज ने जानकारी दी नामें हुसैन पर हम लोग अपने दिलो जान कुर्बान करते कर देते हैं
और हम लोगों का य़किदा है कि इमाम हुसैन जिंदा है और कयामत तक जिंदा रहेंगे और शहीद कभी मरते नहीं हम उनका उर्स मनाते हैं जिस प्रकार से और लोग अपने वलियों का उर्स मनाते हैं सजावट करते हैं मेले लगाते हैं उस पर कोई आपत्ति नहीं होती नामें हुसैन आने के बाद क्यों लोगों को तकलीफ होती है कर्बला में लगे मेले की जानकारी लेने पर पता चला कि इसका ठेका सन 2013 से पूर्व कमेटी के पास था 
इस पर कभी आपत्ति और ना ही विरोध हुआ मेले का विरोध कभी क्यों नहीं किया प्रबंधक खलील मियां जानकारी की पूर्व कमेटी ठेका न मिलने के कारण खिसीआई हुई है जिससे बेतुके बयान देकर माहौल को खराब करने की कोशिश कर रही है खानखहा नियाजिया बरेली शरीफ के एल ए खानदान ने आकर अपनी नींव रखी चारों तरफ से बाउंड्री कराई और इमामबाड़े में रौनक देखने को मिले
मोहर्रम की 7 तारीख को काले इमामबाड़ा और फतेह अली शाह इमाम हुसैन के भतीजे कासिम हसरतें कासिम शहादत की याद में दीवान खाना छीपी टोला से सबिए ताबो और ढोला अलम निकाला जाता है जिसमें तमाम अंजुमन ए हजरत कासिम की याद में मातम और नोहा खानी करते हैं जिसमें अंजुमन ए शम्सुर ए हैदरी के द्वारा नोहा खानी कर हजरत ए कासिम की याद में मनाई दीवानखाना काला इमामबाड़ा तक की साफ-सफाई और लाइट की व्यवस्था हजरत अब्बास कमेटी द्वारा कराई गई जिसमें मुख्य रुप से सैयद नईम जैदी सैयद इखतेदार नकवी तौसीफ रजा समीर हैदर तकी रजा उपस्थित रहे