कोमा में है कटनी के कुर्सीधारी कांग्रेसी !

खरी – अखरी

कोमा में है कटनी के कुर्सीधारी कांग्रेसी !

इस वजह से है भाजपा बीस

कांग्रेस महापौर प्रत्याशी की घोषणा हुए पांच दिन होने जा रहे हैं मगर अब तक शहर कांग्रेस कमेटी के कुर्सीधारियों की एक बार भी बैठक नहीं होने की खबर है. ऐसा लगता है कि फिरकों – फिरकों में बंटे गुटबाज नेता अपने परिजनों को टिकिट न मिलने से सकते में हैं और सी एंड वाच का अनुसरण करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
चार दिन पहले जिस व्यक्ति को शहर कांग्रेस में कार्यवाहक अध्यक्ष की कुर्सी नवाजी गई है उसकी चुनावी मोड में जिस तरह की सक्रियता होनी चाहिए थी अभी तक तो नजर नहीं आई है.
जबकि किसी दूसरी पार्टी ने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है ऐसी सुविधाजनक परिस्थितियों में तो कांग्रेस को अभी तक आधी दूरी तय कर लेनी चाहिए थी. यह अलग बात है कि कैन्डीडेट जरूर अपने स्तर पर सक्रियता बनाये हुए है.
ऐसा लगता है कि श्रीमती श्रेहा खंडेलवाल की उम्मीदवारी भले ही आमजन को पसंद आई हो लेकिन खुद कांग्रेसियों के गले नहीं उतर पा रही है तभी तो स्व पार्टीजन फार्म बी को लेकर चर्चारत रहते हुए इस बात को कहने से नहीं चूकते कि जब तक बी फार्म नहीं आ जाता तब तक श्रेहा की उम्मीदवारी कन्फर्म नहीं है.
कांग्रेसी चाल – चरित्र को करीब से जानने वालों की माने तो इन स्व पार्टीजनों की बात को हवा में नहीं उडाया जा सकता है.
एक बात और कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से होना. भाजपा के पास भले ही नेताओं का टोटा हो मगर कार्यकर्ताओं की भरमार है वह भी समर्पित कार्यकर्ताओं की. नेताओं की भरपाई तो वह दूसरी-तीसरी पार्टी के दोपायों को खरीद कर कर लेती है. मध्यप्रदेश में चल रही सरकार इसका जीता-जागता उदाहरण है.
इसके उलट कांग्रेस के पास नेताओं की तो भरमार है (वह भी आया राम – गया राम) मगर समर्पित कार्यकर्ताओं का नितांत अभाव है (जो हैं भी उनमें बहुतायत संख्या हाय – हलो वालों की ही है) और यही वजह है कि भाजपा कांग्रेस पर बीसा पडती है.
देशभर में कांग्रेस पार्टी के जो हालात दिखाई दे रहे हैं वह कांग्रेसियों की ऐसी ही सक्रियता का परिणाम है.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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