ताली ठोकने के लाखो रूपये अब दिन भर मे 90 ₹ यह है कर्मो का खेल

ताली ठोकने के लाखो रूपये अब दिन भर मे 90 ₹ यह है कर्मो का खेल

सिद्धू जेल चले गए, ज़रा देखो तो उनके पास अथाह सम्पत्ति होने के बाद भी वे आज उसे भोग नहीं पा रहे हैं, संपत्ति होने का अलग पुण्य चाहिए और उसे भोगने का पुण्य अलग, सारे संयोग मुझसे कितने भिन्न हैं सब कुछ होते हुए भी रंच मात्र भोग नहीं सकते- “Law of detachment” समझना होगा।
आज उन्हें क्या सम्पत्ति मिली जेल में – एक कुर्सी, मेज, दो पगड़ी, एक अलमारी, एक कंबल, एक बेड, तीन अंडरवियर और बनियान, दो टॉवल, एक मच्छरदानी, एक कॉपी पेन, एक शूज की जोड़ी, दो बेडशीट, चार कुर्ते पजामे और दो सिरहाने का कवर।
कहाँ वो सिर्फ़ कुछ मिनिट हँसने के लाखों रुपये लेते थे और आज सिद्धू को जेल में काम के बदले 30 से 90 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे।
आलीशान कोठी के बदले उन्हें मिला है वार्ड 12×15 फीट का।
कहाँ लोग उनके Autograph के लिए तरसते थे आज वे गम्भीर क़ैदियों के साथ रहेंगे।
जो भी हो यहाँ बात सिद्धू जी की नहीं बल्कि अपनी सीख की है-
ये सब पुण्य पाप का खेल है, एक समय पहले तीव्र पुण्य का उदय और और एक समय बाद तीव्र पाप का, किसे पता है कब कैसा कर्मों का उदय आ जाये……..
इसलिए हमें हर वक्त अपने भावों का ख़्याल रखना चाहिये, अगर वो क्रोध ना करते / हाथापाई न करते तो क्या आज जो हुआ वो ना होता? ख़ैर….
हर परिस्थिति में सहज रहकर ज्ञाता बने रहें – “Take it easy and let’s celebrate” mode में रहें, जो होना था हुआ उसमें कोई परिवर्तन संभव ही ना था – “Life is a recorded match not live”

इसलिये किसका अभिमान किस पर अहम किससे ईर्ष्या, किससे स्पर्धा ? ये सब कितना क्षणभंगुर है पल भर में सब बदलने वाला है।

हर परिस्थिति के लिये तैयार रहें और मस्त रहें क्योंकि जो बांधा है वो तो उदय में आयेगा ही और भोगना ही है तो फिर चिंता किस बात की और आकुलता क्यों ?

कुछ ऐसी ही घटनायें होती हैं जब चिंतन का और निर्णायक निर्णय लेने का समय होता

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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