
#यूपीएटा,
आखिर अपराध भयमुक्त क्यों है, सरकार तो वही है फिर मास्टरमाइंड कौन है–
एटा-इस बक्त यह कहना ठीक नहीं होगा कि अपराध नहीं हो रहे है बलात्कारी सूरज की रौशनी से लेकर रातकी चाँदनी तक मे मासूम बच्चियों से लेकर महिलाओं की जान और आबरु का शिकार कर रहा है,चोर मोबाइल,बाइक, और चलती फिरती महिलाओं के गले से चैन और जेवर खेंच रहे है निर्दोष अपराधी और दोषी निर्दोष—फिर बात वह कहां है जो पिछले कुछ दिनों मे— सरकार तो वही है कुछभी तो नहीं बदला फिर ये अपराधी बेलगाम क्यों है आखिर दोषी कौन है।
कागजी सबूत जुवांनो से ज्यादा सफल रहा, परिवार और अधिकारियों, की मिलीभगत से न जाने कितने जिंदा इंसान, और संतान जिंदा होते हुये भी मृतक दिखा रहे है कागज—
जमीनी किस्से और चरेलू बिवाद अगर जमीनी स्तर पर सरकार को निपटाने है तो भ्रष्ट अधिकारियों को दूर रखते हुये गांव-गांव चौपारों पर अदालत लगाकर ग्रामीण अनपढों की कब्जा की गई जमीन मुक्त कार्यवाही करनी होगी दबंग हेराफेरी करने बाले और पांच साल के इंतजार मे कमजोरों पर भय बनाकर कार्यवाही ना करने का दबाव भी बनाकर घरेलू जमीनों पर कब्जा किये हुये है तब सरकार को अगर जमीनी स्तर पर पीड़ितों का साथ देना हैतो अपने काम का अंदाज बदलना होगा ज्यादा तर अनपढों का सोशण हो रहा है,और इसका फायदा घरसे लेकर अधिकारियों तक उठाया जा रहा है पहले भी किसी की जमीन किसी के नाम कैसे हो सकती है यह सब अधिकारियों के सहयोग से ही होते रहे है और कुछ पैसे के पुजारी अधिकारी आज भी बाज नहीं आ रहे है।
लेखिका, पत्रकार, दीप्ति चौहान।