ब्रज के इष्ट श्रीकृष्ण और श्रीराधा की अनंत कृपा का प्रसाद है और एक साहित्यक धरोहर भी है.

पाटोत्सव ब्रजभाषा समारोह साहित्य मंडल श्रीनाथद्वारा
( राजस्थान) के भारत विख्यात प्रेक्षागार मंच पर मुझे _
कुंभ पूर्व वैष्णव वैठक स्मारिका -ग्रंथ (जो उत्तर.प्रदेश पर्यटन विभाग ने ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सयोजन में
प्रकाशित हुआ है) आपके सखा श्रीकृष्ण ‘शरद’ को भेंट किया सम्पादक डॉ. उमेश चंद्र शर्मा एवं मथुरा के पर्यटन अधिकारी श्री धर्मेन्द्र जी शर्मा ने.
इसके साक्षी बने साहित्य मंडल के प्रधानमंत्री श्री श्याम प्रकाश देवपुरा जी के साथ मंच पर विराजमान सुकवि विट्ठल पारीक ( जयपुर) , कवि और साहित्यकार न्यायाधीश डॉ. चंद्रभाल ‘सुकुमार’ (वाराणसी ), राजस्थान के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं साहित्य सेवी श्री विजय नाहटा ( जोधपुर ), श्रीकृष्ण ‘शरद’ (मथुरा/ कासगंज) , साहित्यकार एवं कुशल मंच संचालक श्री वीरेन्द्र लोढा़
( भीलवाड़ा ) तथा भारत के कोने-कोने से पधारे कवि और विद्वान एवं साहित्यकार.
इस महत्वपूर्ण ग्रंथ में मेरा ब्रजभाषा आलेख : “ब्रजभाषा कवियन कौ रचना धर्म” ब्रजभाषा में ही प्रकाशित हुआ है. निश्चित रूप से ये मेरे इष्ट श्रीनाथजी की कृपा है जो
इस महत्वपूर्ण ग्रंथ में मेरा एक मात्र ब्रजभाषा आलेख इस स्मारिका -ग्रंथ मे मेरे परम आत्मीय बंधुश्रेष्ठ सुकवि
डॉ. उमेश चंद्र शर्मा ने सहृदता के साथ छापकर ब्रजभाषा के प्रति अपना आभार और समर्पण भाव प्रदर्शित किया है.
लगभग पाच सौ पृष्ठ वाला ये ग्रंथ ढाई किलो वज़न का है. जो बहुत ही महत्वपूर्ण आलेखों का विशिष्ट संकलन है
और ऐतिहासिक (स्मारिका- ग्रंथ ) भी है. निश्चित रूप से ये महा ग्रंथ हमारे ब्रज के इष्ट श्रीकृष्ण और श्रीराधा की अनंत कृपा का प्रसाद है और एक साहित्यक धरोहर भी है.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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